Bhartiya Samvidhan ki visheshtaye in hindi|भारतीय संविधान की विशेषताएं क्या हैं?

जैसा कि हम सभी जानते हैं  कि आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र का रास्ता चुना इसके पीछे भारत के ऐतिहासिक संस्कृति मूल्यों के साथ राष्ट्रीय आन्दोलन के विचारों की भी प्रेरणा है| इसमें भारतीय संविधान की विशेषताओं से सम्बंधित पढ़ने का प्रयास करेंगे जो परीक्षा की दृष्टि  से काफी महत्वपूर्ण है|

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के शब्दों में- असली स्वराज तब होगा जब किसी व्यक्ति के आँखों में आंसू नहीं होंगे | डॉ० आंबेडकर ने भी संविधान सभा में सामाजिक-आर्थिक न्याय की समानता पर आधारित लोकतंत्र की बात कही|

Bhartiy Samvidhan Ki visheshtayen
Bhartiya Samvidhan ki Visheshtayen

इस प्रकार 26 नवम्बर 1949 को निर्मित संविधान का मूल उद्देश्य लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना था|

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं (Bhartiya Samvidhan ki Pramukh Visheshtaye)

संविधान की सबसे बड़ी विशेषता लोक कल्याणकारी राज्य निर्माण का लक्ष्य है| इसलिए सम्पूर्ण प्रभुसत्ता आम जनता में सौपी गयी है| भारत में सरकार के किसी अंग(जैसे अमेरिका और ब्रिटेन में) को सर्वोच्च न बनाकर संविधान को सर्वोच्चता दी गयी है|

संविधान की की कई विशेषताएं हैं जो इस प्रकार हैं | 
  •  लोकप्रभुता पर आधारित संविधान 
  • लिखित और सर्वाधिक व्यापक संविधान 
  • सम्पूर्ण प्रभुतासम्पन्न लोकतान्त्रिक गणराज्य 
  • कठोरता एवं लचीलेपन का समावेश 
  • एकात्मकता की और झुका हुआ 
  • संसदात्मक शासन व्यवस्था 
  • मूल अधिकार और उन अधिकारों की व्यापकता 
  • राज्य के निति निदेशक तत्वों का समावेश 
  • व्यस्क मताधिकार का प्रारम्भ 
  • अल्पसंख्यक तथा पिछड़े हुए वर्गों के कल्याण  की विशेषता 
  • सामाजिक समानता की स्थापना 
  • कल्याणकारी राज्य की स्थापना का आदर्श 
  • एक  राष्ट्रभाषा की व्यवस्था 
  • ग्राम पंचायतों की स्थापना 
  • निष्पक्ष एवं स्वतत्र चुनाव 
  • विश्व शांति को बनाये रखने में समर्थक 

विश्व का सबसे बड़ा संविधान (Word's Largest Constitution)

भारतीय संविधान को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रात्मक संविधान का दर्जा प्राप्त है आज इसमें 444 अनुच्छेद, 12 अनुसूची, 22 भाग हैं| भारतीय संविधान के विस्तृत होने के कारणों में-संघ एवं राज्य दोनों का संविधान होना,विशेष भाषा,राज्य एवं पंचायतों से जुड़े प्रावधान के साथ प्रशासनिक उपबंधों का होना मुख्य माना जाता है|

शासन की विशिष्ट संसदीय प्रणाली (Distinct Parliamentary system of Government)

जो ब्रिटिश मॉडल से प्रेरित है भारत में संशोधन करके अपनाई गयी है| ब्रिटिश संसद की सर्वोच्चता एवं अनुवांशिक राष्ट्राध्यक्ष की व्यवस्था का त्याग करके भारतीय संसदीय प्रणाली को संविधान के अधीन रखते हुए इसे गणतंत्रात्मक बनाया गया है,यही प्रणाली भारतीय राज्यों में भी लागू है|

न्यायपालिका का एकीकृत होना (Unification of the Judiciary)

भारत की सर्वोच्च न्यायिक प्रणाली एकीकृत है इसके शीर्ष पर सुप्रीम कोर्ट है| जबकि अमेरिका की तरह भारत में न्यायपालिका नियुक्ति एवं पद से हटाने की प्रक्रिया सुरक्षा के कारण अपने दायित्वों का निर्वहन स्वतंत्र एवं निष्पक्षता के साथ करती हैं| 
न्यायिक समीक्षा-संविधान की प्रमुख विशेषताओं में से एक है इसके द्वारा सुप्रीम कोर्ट सरकार के सभी अंगों के कार्यों एवं नीतियों की समीक्षा करके उसकी संवैधानिकता को सुनिश्चित करती हैं| सरकार एवं न्यायपालिका के बीच कई विषयों पर मतभेद को गैर तार्किक ढंग से आज न्यायिक सक्रियता कहा जा रहा है|

 भारतीय संविधान की प्रकृति (Nature of Indian Constitution)

संविधान की प्रकृति संघात्मक है किन्तु अमेरिका की तरह फ़ेडरल नहीं है| भारतीय संघ में अमेरिका के विपरीत शक्तियों का वितरण केंद्र के पक्ष में अधिक तथा राज्यों को कम शक्तियां प्राप्त है|

सम्पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न राज्य : प्रस्तावना में जो प्रभुसत्ता संपन्न शब्द है उसका मतलब आतंरिक तथा बाहरी मामलों में पूरी तरह से स्वतन्त्र है  तथा किसी बाहरी शक्ति पर निर्भर नहीं है | 

समाजवादी राज्य : समाजवाद से मतलब उस व्यवस्था से होता है जिसमें उत्पादन वितरण स्वामित्व राज्य के हाथ  में रहता है | यह गरीबों के मध्य अंतर को समाप्त करने का प्रयास करता है और समाज के गरीबों  और कमजोर वर्गों के लिए सुरक्षा प्रदान करता है | 

धर्मनिरपेक्ष राज्य : धर्म निरपेक्ष से अभिप्राय है कि राज्य का कोई धर्म नहीं तथा राज्य केवल नागरिकों के आपसी संबंधों से सम्बंधित है एवं इसका मानव ईश्वर की आपसी संबंधों से कोई सरोकार नहीं है | 

लोकतांत्रिक गणराज्य : लोकतंत्र का मतलब सरकार को समस्त शक्ति जनता से प्राप्त होती है | शासकों का निर्वाचन जनता द्वारा प्राप्त किया जाता है वे उन्ही के प्रति उत्तर दायी हैं | 

गणतांत्रिक राज्य : गणतत्र से मतलब राज्य का अध्यक्ष एक निर्वाचित व्यक्ति है जो एक निश्चित अवधि के लिए पद ग्रहण करता है | 

न्याय : भारतीय संविधान की प्रस्तावना में न्याय को स्वतंत्रता, समानता तथा बंधुत्व से ऊपर रखा गया है | न्याय जीवन के सामाजिक आर्थिक तथा राजनितिक पहलुओं को पूरा करता है | 

 भारतीय संविधान में संशोधन की शक्ति (The Power of amends the Indian Constitution)

केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य में सुप्रीम कोर्ट फैसला 1973 के बाद संसद को संविधान के किसी भी भाग में आधारभूत ढांचा छोड़कर संसोधन की शक्ति प्राप्त है|
भारतीय संविधान (Indian Constitution) की यह विशेषता है कि संघ एवं प्रान्त दोनों की शक्तियां एक ही संविधान में वर्णित हैं जबकि इसके इसके विपरीत अमेरिका में संघ एवं प्रान्त के संविधान अलग-अलग हैं|

भारतीय नागरिकता (India Citizenship)

नागरिकता के सन्दर्भ में भारतीय संविधान पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक उदार है| भारत में सभी पाँचों प्रकार के नागरिक वर्गों को समान अधिकार प्राप्त है तथा सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर चुने जाने योग्य मान्य है जबकि पश्चिमी देशों में सर्वोच्च पदों पर चुने जाने हेतु जन्म से ही नागरिक होना अनिवार्य है|
नम्यता एवं अनम्यता का मिश्रण संविधान में मौजूद है इसका अर्थ है कि संविधान का अधिकांश हिस्सा आसानी से संसोधन नम्य तथा कुछ हिस्सा विशेष बहुमत से कठोर(अनम्य) है|
 
नोट-भारतीय संविधान लचीला अधिक लेकिन कठोर कम है |
 
भारतीय संविधान संप्रभु संपन्न,समाजवादी,धर्मनिरपेक्ष,लोकतंत्र,गणराज्य,का प्रतीक है |मौलिक अधिकारों का संविधान के भाग-3 में प्रावधान है इन्हें संविधान की आत्मा कहा जाता है तथा सीधे संविधान द्वारा प्रदत्त एवं सरकार के सभी अंगों के विरूद्ध प्रवर्तनीय हैं|इन्हें न्यायपालिका द्वारा संरक्षित रूप में बनाया गया है| सामाजिक आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना हेतु नीति निदेशक तत्वों को एवं इसे महत्त्व देना संविधान की अनोखी विशेषता है|

भारतीय संविधान की आपातकालीन शक्तियां (Emergency power of Indian Constitution)

भारतीय संविधान की आपातकालीन व्यवस्था अनूठी है जो देश एवं राज्य के हित में जर्मनी से प्रेरित होकर ली गयी है|आपांत कालीन तीन प्रकार की हैं जिनका वर्णन अनुच्छेद-352, 356 और 360 में किया गया है| पंचायती राज्य व्यवस्था जो त्रिस्तरीय व्यवस्था है को 73 संविधान संसोधन द्वारा संवैधानिक दर्जा देना तथा लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देना संविधान की विशेषता है|
 
 
इस प्रकार भारतीय संविधान (Indian Constitution) व्यवहारिक,आदर्शवादी एवं परिवर्तनकारी तत्वों से युक्त श्रेष्ठ संविधान है|कुछ आलोचकों का मानना है कि भारतीय संविधान मौलिक दस्तावेज नहीं है क्योंकि इसकी सभी प्रणालियों पर विदेशी प्रभाव पड़ा है|आज हमारा संविधान न्यायिक निर्णयों,राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय अनुभवों से अधिक सम्रद्धि होता जा रहा है|


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