Paramparagat urja ke srot | परम्परागत ऊर्जा के प्रमुख स्रोत ( non-renewable energy) कौन से है ?

 परम्परागत ऊर्जा के प्रमुख स्रोत | Major sources of non-renewable energy

निरंतर प्रयोग में लाये जाने वाली ऐसी ऊर्जा के स्रोत जिसकी भविष्य में हमें आवश्यकता हो सकती है वर्तमान में लगातार दोहन किया जा रहा है और आगे चलकर समाप्त भी हो सकते है,ऐसी ऊर्जा के स्रोतों को परमपरागत ऊर्जा का स्रोत कहते हैं|भविष्य के लिए अगर हम लगातार दोहन हो रहे इन स्रोतों को नहीं बचा पाए तो हमारे जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जैसे-पेट्रोल एवं डीजल के बिना गाड़ियाँ नहीं चलेंगी,कोयले के बिना हम बिजली उत्पादित नहीं कर पायेंगे आदि| भविष्य के लिए हम अन्य स्रोतों को भी तलाशना चाहिए जिससे भविष्य होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को रोका जा सके|आइये विस्तार से जानते हैं परम्परागत ऊर्जा स्रोत कौन से हैं तथा इनका प्रयोग किस प्रकार किया जाता है| इन्हें हम गैर-नवीकरणीय ऊर्जा (non-renewable)  स्रोत के नाम से भी जानते हैं|
 
renewable
Non-renewable Source

परम्परागत ऊर्जा के प्रमुख स्रोत कोयला, पेट्रोल, डीजल, विद्युत,परमाणु उर्जा,प्राकृतिक गैस आदि हैं |आइये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं इनका प्रयोग किस प्रकार से किया जाता है और ये हमारे जीवन के लिए कितने आवश्यक हैं |  
 

कोयला 

भारत में कोयला बहुत अधिक मात्रा में पाया जाने वाला जीवाश्म ईधन है | यह देश की ऊर्जा आवश्यकताओं का महत्वपूर्ण भाग प्रदान करता है | इसका उपयोग ऊर्जा उत्पादन तथा उद्योगों और घरेलू जरूरतों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति के लिए किया जाता है | भारत अपनी वाणिज्यिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मुख्यतः कोयले पर निर्भर है|

कोयले का निर्माण पादप पदार्थों के लाखों वर्षों तक संपीडन से हुआ है | इसलिए संपीडन की मात्रा गहराई और दबने के समय के आधार पर कोयला अनेक रूपों में पाया जाता है |दलदलों में क्षय होते पादपों से पीट उत्पन्न होता है,जिसमें कम कार्बन,नमी की उच्च मात्रा व् निम्न ताप क्षमता होती है| 

लिग्नाइट कोयला

लिग्नाइट एक निम्न कोटि का भूरा कोयला होता है| यह मुलायम होने के साथ इसमें बहुत नमी होती है| लिग्नाइट के प्रमुख भण्डार तमिलनाडू के नैबेली में मिलते हैं और विद्युत उत्पादन में प्रयोग किये जाते हैं|

 बिटुमिन कोयला

गहराई में दबे तथा अधिक तापमान से प्रभावित कोयले को बिटुमिन कोयला कहा जाता है| वाणिज्यिक प्रयोग में यह सर्वाधिक प्रयोक किया जाता है| धातुशोधन में उच्चश्रेणी के बिटुमिनस कोयले का प्रयोग किया जाता है जिसका लोहे के प्रगलन में बहुत महत्त्व है|

एन्थ्रासाइट कोयला

एन्थ्रासाइट कोयला सर्वोत्तम गुण वाला कठोर कोयला होता है| 

भारत में कोयला दो प्रमुख भू-गार्भिक युगों के शैलक्रम में पाया जाता है,एक गोंडवाना जिसकी आयु 200 लाख वर्ष से कुछ अधिक और दूसरा टरशियरी निक्षेप जो लगभग 55 लाख वर्ष पुराने हैं| गोंडवाना कोयले जो धातुशोधन कोयला है इसके प्रमुख संसाधन दामोदर घाटी,झरिया खान,रानीगंज,बोकारो में स्थित हैं जो महत्वपूर्ण कोयला क्षेत्र हैं| गोदावरी,महानदी व् सोन नदी घाटियों में भी कोयले के जमाव पाए जाते हैं|

टर्शियरी कोयला

टर्शियरी कोयला क्षेत्र उत्तर-पूर्वी राज्यों-मेघालय,असम,अरुणांचल प्रदेश व नागालैंड में पाया जाता है|

पेट्रोलियम

भारत में कोयले के बाद ऊर्जा का दूसरा प्रमुख साधन पेट्रोलियम या खनिज तेल है| यह ताप व प्रकाश के लिए ईंधन,मशीनों के स्नेहक और अनेक विनिर्माण उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करता है| भारत में अधिकाँश पेट्रोलियम की उपस्थिति टरशियरी युग की शैल संरचनाओं के अपनति व भ्रंस टैम्प में पायी जाती है| वलन,अपनति और गुम्बदों वाले प्रदेशों में यह वहां पाया जाता है जहाँ उद्ववलन के शीर्ष में तेल टैम्प होता है|
भारत में कुल पेट्रोलियम उत्पादन का 63% भाग मुंबई हाई से,18% भाग गुजरात से और 16% भाग असम से प्राप्त होता है| अंकलेश्वर गुजरात का सबसे महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र है| असम भारत का सबसे पुराना तेल उत्पादक राज्य है| डिग्बोई,नहरकटिया और मोरन हुगरीजन इस राज्य के महत्वपूर्ण तेल उत्पादक क्षेत्र है|
 

विद्युत 

आधुनिक विश्व के अनुप्रयोग इतने ज्यादा विस्तृत हैं कि इसके प्रति व्यक्तिव्यक्ति उपभोग को विकास का सूचकांक माना जाता है| 
विद्युत मुख्यतः दो प्रकार से उत्पन्न की जाती है -
  1. प्रवाही जल जो हाइड्रो-चलाकर जल विद्युत उत्पन्न करता है |
  2. अन्य ईंधन जी-कोयला, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस को जलाने से टरबाइन चलाकर ताप विद्युत उत्पन्न की जाती है| एक बार उत्पन्न हो जाने का बाद विद्युत एक जैसी ही होती है|
तेज बहते जल से जल विद्युत उत्पन्न की जाती है जो एक नवीनीकरण ऊर्जा का स्रोत है| भारत अनेक बहु-उद्देशीय परियोजनाएं जो विद्युत उत्पन्न करती हैं जैसे-भाखड़ा नांगल,दामोदर घाटी और कोपिली हाइडल परियोजना आदि|
ताप विद्युत कोयला,पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस के प्रयोग से उत्पन्न की जाती है| ताप विद्युत गृह अनवीनीकरण  योग्य जीवाश्मी ईधन का प्रयोग कर विद्युत उत्पन्न करते हैं| भारत में 310 ताप विद्युत गृह हैं|

परमाणु ऊर्जा 

परमाणु अणुओं की संरचना को बदलने से प्राप्त होती है| जब ऐसा परिवर्तन किया जाता है तो ऊष्मा के रूप में काफी ऊर्जा विमुक्त होती है और इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने में किया जाता है| यूरेनियम और थोरियम जो झारखण्ड और राजस्थान की अरावली पर्वत श्रंखला में पाए जाते हैं| इनका प्रयोग परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है| केरल में मिलने वाली मोनाजाइट रेत में भी थोरियम की मात्रा पायी जाती है|

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