UPSSSC GK Question in Hindi :भारतीय कृषि क्षेत्र की सम्पूर्ण जानकारी

हमारे भारत देश में आधे से ज्यादा आबादी कृषि क्षेत्र (agriculture Sector) पर निर्भर है इसलिए हम भारत को कृषि प्रधान देश के नाम से भी जानते हैं | भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का 2.4% है | भारत विश्व के पानी का 4.2 % प्रयोग करता है| 

Agriculture
Bhartiya Krashi se Sambandhit Prashn

कृषि का अर्थव्यवस्था में महत्व (Importance of Agriculture in Economy)

कृषि का हमारी अर्थव्यवस्था में अगर बात करें तो कृषि का हमारी GDP में महत्वपूर्ण योगदान है जो की कुल GDP का 16.5 % है |देश की गरीबी भुखमरी कृषि क्षेत्र से दूर होती है |

खद्यान्न के क्षेत्र में भी काफी महत्व हैं कृषि क्षेत्र का रोजगार में भी काफी योगदान है लोग जोताई, कटाई, मड़ाई आदि का काम करते हैं |

उद्योगों के लिए कच्चा माल कृषि क्षेत्र से ही प्राप्त होता है जैसे अगर हम बात करें तो टमाटर की चटनी, गन्ने से गुण एवं चीनी, मसाले, काफी आदि बनाकर व्यापार में प्रयोग किया जाता है|
 

भारतीय कृषि का स्वरूप (Nature of Indian Agriculture)

भारत में कृषि के स्वरूप की बात करें तो हमारे यहाँ पर जमीन की तुलना में उत्पादन कम होता है जबकि अन्य देश उतनी ही जमीन से अधिक उत्पादन करते हैं इसका सबसे बड़ा कारण मशीनीकरण एवं तकीनीकी करण का अभाव हैं |

हमारे देश में उन्नतशील किस्म के बीज नहीं मिल पाते हैं |हमारे देश में निर्वाह कृषि की जाती है यानी कि केवल खाने पीने और जीवित रहने के लिए केवल खेती ज्यादा करते हैं | हमारे देश में सिचाईं का भी काफी अभाव है|
 

कृषि आगत (Agriculture Inputs)

कृषि आगत का मतलब है कृषि में ऐसी चीजों का प्रयोग करें जिससे उत्पादकता अधिक हो जिसके प्रयोग से भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का योगदान और बढे |इसे हम इन्द्रधनुषी कृषि भी कहते हैं|

अगर हमें कृषि क्षेत्र में विकास करना है तो हमें उन्न्तशील किश्म के बीज प्रयोग करना चाहिए इसके बाद हमें उपयुक्त सिचाई व्यवस्था को भी सुद्रढ़ बनाये रखना चाहिए |इसके बाद समय -समय पर कीटनाशक दवा का प्रयोग भी करना चाहिए |इस सभी चीजों के माध्यम से हम कृषि क्षेत्र में व्यापक विकास कर सकते हैं|
 

उन्नत किश्म के बीज

सन 1966 -67 में हरित क्रांति का उद्भव हुआ जिसके माध्यम से उन्नतशील किश्म के बीजों को प्रयोग में लाया गया | भारत में हरित क्रांति के जनक एम्.एस. स्वामीनाथन को माना जाता है | विश्व में हरित क्रांति के जनक नार्मन बोरलाग को माना जाता है |
 

कृषि में वित्त की प्रणाली (System of Finance in Agriculture)

कृषि में वित्त की व्यवस्था बैंक के माध्यम से सरकार करती है | प्राथमिक क्षेत्र में वित्त की शुरुआत सन 1975 में क्षेत्रीय बैंक के माध्यम से की गयी |आज के वर्तमान समय में वित्त की व्यवस्था नाबार्ड करता है जिसकी स्थपना 12 जुलाई 1982 में शिवराम समिति के द्वारा की गयी |

1998 -99 में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की शुरुआत की गयी जिसके अंतर्गत 2011 में डेबिड कार्ड वितरण की भी व्यवस्था की गयी| प्रधानमन्त्री कृषि सम्मान निधि योजना जिसमें सीमान्त किसान (जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले) को हर साल ६००0 वित्त की व्यवस्था की गयी |

2020-21 में वाणिज्यिक बैंक से 79 % ऋण किसानों को वितरित किये गए |क्षेत्रीय ग्रामीण बैक द्वारा 15 % वित्त की व्यवस्था किसानो के लिए की गयी |
 

कृषि का विपणन (Marketing of Agriculture)

भारत में विपणन की समस्या एक बड़ी समस्या है हमारी सरकार लगातार इस क्षेत्र में प्रयास कर रही है |सन 2016 में राष्ट्रीय कृषि बाजार (ENAM) की शुरुआत की गयी जिसके माध्यम से कोई भी किसान अपना अनाज देश के किसी भी हिस्से की मंडी में बेच सकता है और उसकी कीमत भी जान सकता है|

 बजट 2020-21 में किसान रेल की भी बात की गयी है जिसमें किसानों के जल्दी खराब होने वाले उत्पाद को जैसे- दूध, टमाटर, फल, हरी सब्जियां को एक स्थान से दुसरे स्थान तक आसानी से ले जा सकते हैं |7 अगस्त 2020 से देवलाली से दानपुर तक किसान रेल चलाई गयी |
 

भारत में बोई जाने वाली फसलें 

भारत में मुख्य रूप से तीन तरह की फसलें बोई जाती हैं |

1. खरीफ -जून-जुलाई में बुआई और अक्टूबर में कटाई इस फसल को मानसूनी फसल भी कहते हैं क्योकि इस समय दक्षिण-पश्चिम से मानसून आता है इस फसल में मुख्यतः धान, बाजरा, मक्का, बाजरा, मूंगफली की फसलें बोई जाती हैं |

2. रबी- अक्टूबर-नवम्बर में बुआई और मार्च अप्रैल में कटाई यह फसल शीतऋतु में की जाती है |इन फसलों के लिए पश्चिमी विक्षोभ काफी लाभदायक होता है | इन फसलों में मुख्यतः गेहूं,मटर,चना,दलहनी,तिलहनी आदि की फसलें बहुतायत में की जाती हैं |

3. जायद -मार्च अप्रैल में बुआई और जून जुलाई में कटाई इसे हम मौसमी फसल के नाम से भी जानते हैं इसमें मुख्यतः खीर,ककड़ी,तरबूज आदि फसलें आती हैं |

व्यापारिक फसलें (Commercial Crop)

व्यापारिक फसल का अर्थ ऐसी फसलें जिनका उद्देश्य आय बढाने के लिए बेचना हो |इस प्रकार की फसलें मुख्यतः कपास,गन्ना,चाय, मसाले,सोयाबीन,मूंगफली,सूरजमुखी,जूट,सनई आदि आती हैं | 
 

अनुबंध कृषि (Contract Farming)

ऐसी कृषि जिसमें किसानो एवं व्यापारियों के बीच समझौता होता है |हाल ही में ओडिशा ने अनुबंध कृषि को लागू किया  |
 

जैविक कृषि (Organic Farming)

ऐसी कृषि जो पर्यावरण के अनुकूल खेती होता है जैविक कृषि कहलाती है |इसमें जैविक तत्वों द्वारा खेती की जाती है तथा किसी भी प्रकार का रासायनिक तत्व का प्रयोग नहीं किया जाता है |भारत का पहला जैविक खेती करने वाला राज्य सिक्किम है जिसे सन 2016 में घोषित किया गया |
 

न्यूनतम समर्थन मूल्य(Minimum Support Price)

न्यूनतम समर्थन मूल्य वह मूल्य होता है जिस पर सरकार किसानो के उत्पाद को खरीदने पर तैयार होती है इससे उत्पादन में वृद्धि होती है |

न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण कृषि लागत एवं मूल्य आयोग करता है | इसकी स्थपना सन 1965 में हुई थी यह हर साल दो बार खरीब के फसल के पहले और रबी के फसल के फहले घोषणा की जाती है जिसमें 24 कृषि उत्पाद होते हैं जिसमें मुख्यतः धान, गेहूं, सरसों, मक्का, आलू, मूंगफली आते हैं |गन्ने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी नहीं किया जाता है |इसमें उचित एवं लाभप्रद कीमत लागू की जाती है जिसकी घोषणा आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति करती हैं |
 

मेगा फ़ूड पार्क (Mega Food Park)

यह सरकार की एक योजना है जहाँ पर कृषि के उत्पाद को सुरक्षित रखने एवं व्यापार में वृद्धि करने के उद्देश्य से शुरू की गयी | वर्तमान में कुल 18 मेगाफूड पार्क कार्य कर रहें हैं | भारत में पहला मेगा फ़ूड पार्क श्रीनी मेगा फ़ूड पार्क चित्तूर (आंध्र प्रदेश) में  बनाया गया इसकी स्थपना सन 2009 में की गयी थी जबकि मध्य भारत का पहला मेगा फ़ूड पार्क अवन्ती मेगा फ़ूड पार्क विदिशा(मध्य प्रदेश) में की गयी |

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