Bhart Ki Panchvarshiya yojnaye in Hindi | पंचवर्षीय योजनाओं का ग्राम विकास पर प्रभाव

दोस्तों हम सभी जानते हैं कि भारत गांवों का देश है यहाँ तक कि देश की 75% जनसँख्या गांवों में निवास करती है| स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्यान्न, कृषि, बेरोजगारी, निर्धनता, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता आदि की गंभीर समस्यायें व्याप्त थीं| अतः स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात देश का तीव्र गति से आर्थिक विकास करने के लिए नियोजन का मार्ग अपनाया गया| यदि हम भारत का आर्थिक विकास करना चाहते हैं तो ग्राम विकास के बिना आर्थिक विकास नहीं कर सकते हैं| इसलिए योजनाओं में गाँव से सम्बंधित विकास पर ध्यान दिया गया| 

Panchvarshiy Yojnaye

देश की पहली पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 1951 से शुरू हुई तथा अब तक देश में कुल 11 पंचवर्षीय योजनायें अपना कार्यकाल कर चुकी हैं| प्रत्येक पंचवर्षीय योजना में ग्रामीण समस्याएं, बेरोजगारी, निर्धनता, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि विकास की ओर विशेष ध्यान दिया गया है|

ग्राम्य विकास के विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, आइये जानते हैं कि इनका ग्रामीण क्षेत्र में योगदान किस प्रकार रहा|

 

1.पहली पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल 1951 से 31 मार्च 1956) 

प्रथम पंचवर्षीय योजना मुख्य रूप से कृषि प्रधान योजना थी इसमें कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा ध्यान दिया गया था|इस पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य जनता के जीवन स्तर को ऊँचा उठाना और उसके लिए अधिक सुख-सुविधापूर्ण जीवन प्रदान करना है|इस योजना की लगभग तीन चौथायी धनराशी कृषि, सिचाईं, शक्ति तथा यातायात पर व्यय की गयी| पहली पंचवर्षीय योजना डोमर हेराल्ड मॉडल पर आधारित थी | 

2.दूसरी पंचवर्षीय योजना(1 अप्रैल 1956 से 31 मार्च 1961 तक)

दूसरी पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य देश के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाने के लिए 5 वर्षों में राष्ट्रीय आय में 25% वृद्धि करना एवं रोजगार के अवसरों की वृद्धि करना था|यह योजना पी.सी. महालनोबिस मॉडल पर आधारित योजना थी |

 

3.तीसरी पंचवर्षीय योजना(1 अप्रैल 1961 से 31 मार्च 1966 तक)

इस योजना का उद्देश्य खाद्यान्नों में आत्म निर्भरता प्राप्त करना तथा उद्योगों एवं निर्यात की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कृषि उत्पादन को बढ़ाना, देश की श्रम शक्ति का अधिकतम उपयोग करना तथा रोजगारपरक अवसरों में वृद्धि करना था|

 

4.चौथी पंचवर्षीय योजना(1 अप्रैल 1969 से 31 मार्च 1974 तक)

चौथी पंचवर्षीय योजना में प्रमुख रूप से बनाए गए कार्यक्रम थे-लघु, कृषक विकास एजेंसी, सीमान्त किसान एवं कृषि श्रमिक एजेंसी, सूखा प्रव्रत्त क्षेत्र कार्यक्रम तथा ग्रामीण रोजगार के लिए लाभकारी स्कीम |

5.पांचवी पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल १९७4 से 31 मार्च १९७8)

इस योजना के अंतर्गत काम के बदले में न्यूनतम आवश्यकताओं  का राष्ट्रीय कार्यक्रम जिसमें प्राथमिक शिक्षा,पीने का पानी,ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा,पौष्टिक भोजन, भूमिहीन श्रमिकों को मकानों के लिए जमीन, गामीण सड़कें, ग्रामों का विद्युतीकरण तथा गन्दी बस्तियों की उन्नति एवं सफाई आदि पर ज्यादा ध्यान दिया गया था |

पांचवी पंचवर्षीय योजना में 'काम के बदले अनाज कार्यक्रम व न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम' चलाये गए| ये समस्त योजनायें ग्रामीण क्षेत्रों  के अति निर्धन लोगों के लिए थी| इस परियोजनाओं के द्वारा दो प्रकार से सहायता दी जाती थी-

1.एक तो वित्तीय तथा दूसरी सरकारी लोक कार्य परियोजनाओं से अति निर्धन किसानों व मजदूरों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार की व्यवस्था थी |

2.जनता पार्टी के शासनकाल में समाज के सर्वाधिक निर्धन व्यक्तियों को उत्पादक रोजगार अवसर उपलब्ध कराकर उन्हें निर्धनता के कुचक्र से  बाहर निकालने के लिए 'अन्त्योदय कार्यक्रम' वर्ष १९७7 -७८ में शुरू किया गया था|

6.छठीं पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल १९८० से 31 मार्च १९८5)

जनता पार्टी की सरकार द्वारा 1 अप्रैल १९७8 से ही छठी पंचवर्षीय योजना एक अनवरत योजना के रूप में लागू की गयी थी लेकिन कांगेस सरकार द्वारा इस योजना को दो वर्ष बाद ही सन १९8० में समाप्त घोषित कर दिया गया और 1 अप्रैल १९८० से छठी संशोधित पंचवर्षीय योजना लागू की गयी| 

इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों समन्वित विकास कार्यक्रम चलाया गया | रोजगार के अवसर बढ़ाकर बेरोजगारी दूर करने के लिए श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे -कृषि, लघु और ग्रामीण उद्योगों तथा उनसे जुड़े हुए कार्यक्रमों को बढ़ाया गया | रोजगार के अवसर बढ़ने से गरीबों की आय बढ़ी और जीवन स्तर में सुधार हुआ था|

7.सातवीं पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल १९८5 से 31 मार्च १९९०) 

ग्रामीण विकास हेतु सातवीं पंचवर्षीय योजना में अनेक कार्यक्रम चलाए गये| ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए सातवीं योजना आमीन अप्रैल १९८9 से व्यापक योजना 'जवाहर रोजगार योजना' प्रारंभ की गयी|

8.आठवीं पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल १९९2 से 31 मार्च १९९७)

आठवीं पंचवर्षीय योजना में ग्रामीण विकास हेतु प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं| 

1. सभी गांवों एवं समस्त जनसँख्या हेतु पेयजल तथा टीकाकरण सहित प्राथमिक चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान करना तथा मैला ढोने की प्रथा को पूर्णता समाप्त किया गया

2.खाद्यान्नो में आत्मनिर्भरता तथा निर्यात योग्यता बचत प्राप्त करने हेतु कृषि का विकास एवं विस्तार करना

3.प्रारंभिक शिक्षा को सर्वव्यापक बनाना तथा १५ से ३५ वर्ष की आयु के मध्य के लोगों में निरक्षरता को पूर्णतः समाप्त करना|

4.शताब्दी के अंत तक लगभग पूर्ण रोजगार के स्तर को प्राप्त करने की द्रष्टि से पर्याप्त रोजगार का सृजन करना|सन १९९6 ई० से ग्रामीण क्षेत्रों में एक नया 'स्वरोजगार कार्यक्रम' प्रारंभ किया गया|

5. 2 अक्टूबर १९९3 से सरकार ने 'रोजगार आश्वासन योजना' लागू की|

9.नौवीं पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल 1997 से 31 मार्च 2002 तक)

नौवीं पंचवर्षीय योजना के माध्यम से ग्रामीण विकास के लिए कई कार्य किये गए|

  • पर्याप्त उत्पादक रोजगार पैदा करना तथा निर्धनता उन्मूलन की द्रष्टि से कृषि एवं ग्रामीण विकास को प्रथमिकता देना 
  • सभी के लिए बल्कि विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों के लिए,भोजन एवं पोषण की सुरक्षा सुनिश्चित करना 
  • स्वच्छ पेयजल, प्राथमिक स्वास्थ्य देखरेख सुविधा, सार्भौमिक प्राथमिक शिक्षा एवं आवास जैसी मूलभूत न्यूनतम सेवायें प्रदान करना था|
  • गांवों में रहने वाले ग़रीबों के लिए स्व-रोजगार की 'स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना' 1 अप्रैल 1999 से प्रारंभ की गयी थी|इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भारी संख्या में कुटीर उद्योग की स्थापना करना 

10.दसवीं पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल 2002 से 31 मार्च 2007)

दसवीं पंचवर्षीय योजना के द्रष्टिकोण-पत्र में विकास हेतु जो लक्ष्य निर्धारित किये गए थे इस प्रकार है| 

1.निर्धनता अनुपात को 2007 तक 20% तथा 2012 तक 10% तक लाना था |

2.2007 तक सभी के लिए प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना था |

3.सन 2012 तक सभी गांवों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था कराना तथा सभी प्रमुख प्रदूषित नदियों की सन 2007 तक  व अन्य अधिसूचित प्रखंडों की सन 2012 तक सफाई कराना |

11.ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007 से 2012 तक)

इस योजना में निर्धनता निवारण, शिक्षा, महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य की स्थिति आधारित संरचना व पर्यावरण जैसे मामलों में राष्ट्रीय स्तर पर 27 व राज्यों के लिए 13 विभिन्न लक्ष्य योजना में निर्धारित किये गये थे|देश के सभी ग्रामों के विद्युतीकरण का लक्ष्य इस योजना में निर्धारित किया गया था | सन 2012 तक देश के सभी गांवों में स्वच्छ पेयजल की अविरत पहुँच सुनिश्चित करना था|

१२. बारहवीं पंचवर्षीय योजना (सन 2012 से 2017 तक)

बारहवीं पंचवर्षीय योजना को तत्कालीन प्रधानमन्त्री डॉ० मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित १४ सितम्बर 2012 को नई दिल्ली में संपन्न बैठक में स्वीकार किया गया | इस योजना में निर्धनता निवारण व रोजगार सृजन से जुड़े सामाजिक मुद्दों के लक्ष्य निर्धारित किये गए|

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