गैर-परम्परागत उर्जा के स्रोत (Source of Renewable energy) | वाणिज्यिक ऊर्जा के स्रोत क्या है

गैर-परम्परागत उर्जा के स्रोत(Source of Renewable energy)

गैर परम्परागत ऊर्जा के स्रोत -सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा तथा अवशिष्ट पदार्थ जिनके उपयोग का हमारे जीवन अत्यंत आवश्यक है,गैर-परंपरागत ऊर्जा के स्रोत कहलाते हैं| ये संसाधन लगातार उपयोग में लाये जा सकते हैं क्योंकि ये समाप्त नहीं होते हैं| 


Solar panal Renewable energy
Solar Pannel (Non renewable energy)

सौर ऊर्जा (Solar energy)

भारत में सौर ऊर्जा की अत्यंत आवश्यकता है | इसमें फोटोवोल्टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है |भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से लोकप्रिय हो रही है | भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र भुज के निकट माधापुर में स्थित है,जहाँ सौर ऊर्जा से दूध के बड़े बर्तनों को कीटाणु मुक्त किया जाता है|

पवन ऊर्जा (Wind Power)

पवन ऊर्जा एक अक्षय स्रोत है | ऊर्जा के रूप में इसे बहुत प्राचीन काल से व्यापारिक नौकाओं तथा यात्री नौकाओ को चलाने के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है |अनाज पीसने के लिए मनुष्य पवन चक्कियों का प्रयोग करता रहा है |पवन चक्कियों की कार्य क्षमता पवन के वेग पर निर्भर करती हैं| भारत को विश्व में 'पवन महाशक्ति' का दर्जा प्राप्त है | भारत में पवन ऊर्जा फॉर्म के विशालतम पेटी तमिलनाडु में नागरकोइल से मदुरै तक अवस्थित है| इसके अतिरिक्त आन्ध्र प्रदेश,कर्नाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र तथा लक्ष्यद्वीप में भी महत्वपूर्ण पवन फ़ार्म हैं | नागरकोइल और जैसलमेर देश में पवन ऊर्जा के प्रभावी प्रयोग के लिए जाने जाते हैं|

ज्वारीय ऊर्जा  (Tidle energy)

महासागरीय तरंगों का प्रयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकता है | सकरी खाड़ी के आर-पार बाढ़ द्वारा बना कर बांध बनाए जाते हैं | उच्च ज्वार में इस संकरी खाड़ीनुमा प्रवेश द्वार के बाहर ज्वार उतरने पर,बांध के पानी को इसी रास्ते पाइप द्वारा समुद्र की तरफ बहाया जाता है जो इसे ऊर्जा उत्पादक टरबाइन की और ले जाता है | भारत में कच्छ की खाड़ी में ज्वारीय तरंगों द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की आदर्श दशाएं उपस्थित हैं| राष्ट्रीय हाइड्रोपॉवर कारपोरेशन ने यहाँ 900 मेगावाट का ज्वारीय विद्युत ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया है|

भू-तापीय ऊर्जा  (Geothermal energy)

प्रथ्वी के आतंरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भू-तापीय ऊर्जा कहते हैं| इस ऊर्जा के कारण ज्वालामुखी प्रदेशों में गर्म स्रोत और गर्म पानी के फब्बारे,जिनको गीजर कहते हैं,पाए जाते हैं |भू -तापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती है क्योंकि बढती गहराई के साथ प्रथ्वी प्रगामी ढंग से तप्त होती जाती है| जहाँ भी भू-तापीय प्रवणता अधिक होती है वहां उथली गहराइयों पर अधिक तापमान पाया जाता है| ऐसे क्षेत्रों में भूमिगत जल चमकानों से ऊष्मा का अवशोषण कर तप्त हो जाता है| यह इतना तप्त हो जाता है कि यह प्रथ्वी की सतह की और उठता है तो यह भाप में परिवर्तित हो जाता है| इसी भाप का प्रयोग टरबाइन को चलाने और विद्युत उत्पन्न करने के लिए किया जाता है | भारत में सैंकड़ों गर्म पानी के चश्में हैं,जिनका विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जाता जा सकता है | भू-तापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में दो प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं | एक हिमांचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पार्वती घाटी में स्थित है तथा दूसरी लद्दाख में पूगा घाटी में स्थित है|

ऊर्जा संसाधनों का संरक्षण (Conservation of energy resources)

आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा एक आधारभूत आवश्यकता है | राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक सेक्टर कृषि, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य व घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा के निवेश की आवश्यकता है | ऊर्जा के निरंतर पोषणीय मार्ग के विकसित करने की तुरंत आवश्यकता है | ऊर्जा संरक्षण की प्रोन्नति और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का बढ़ता प्रयोग सतत पोषणीय ऊर्जा के दो आधार है | वर्तमान में भारत विश्व के सबसे कम ऊर्जा क्षमता देशों में गिना जाता है | हमें ऊर्जा के संसाधनों के न्यायसंगत उपयोग के लिए सावधानीपूर्ण प्रयोग करना होगा|

मानव संसाधन (Human Resource)

मानव भी कहीं न कहीं एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो प्रथ्वी के संसाधनों का उत्पादन एवं उपभोग करता है | इसलिए यह जानना जरूरी है कि एक देश में कितने लोग निवास करते हैं, वे कहाँ पर और कैसे निवास करते हैं तथा उनकी कौन-कौन सी आवश्यकताएं है|

भारतीय जनगणना हमारे देश की जनसँख्या से सम्बंधित अधिक जानकारी प्रदान करती है| जनगणना एक निश्चित समयान्तराल में जनसँख्या की आधिकारिक गणना, जनगणना कहलाती है | भारत में सबसे पहली सन 1972 ई. में जनगणना हुई थी और पहली दशकीय जनगणना सन 1881 ई. में हुई थी| उसी समय से हर दश वर्ष में जनगणना होती है| 

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