Bauddh Dharm | बौद्ध धर्म से सम्बंधित घटनाएँ, सिद्धांत एवं बौद्ध सभाएं

 दोस्तों बौद्ध धर्म (Bauddh Dharm) एक ऐसा धर्म है जो हमें जीवन को कैसे जिए और अपने कर्मों के आधार पर अपने जीवन में दुखों का अंत कैसे करें ये सब कुछ इस धर्म में सिखाया गया है | आप लोग ये भी जानते होंगे कि बौद्ध धर्म को चाइना, श्री लंका, मध्य एशिया, कम्बोडिया आदि में सबसे अधिक मानते है|

Bauddh Dharm | बौद्ध धर्म से सम्बंधित घटनाएँ, सिद्धांत एवं बौद्ध सभाएं
Bauddh Dharm (बौद्ध धर्म)

भारत में बौद्ध धर्म का जन्म हुआ और सारे विश्वभर में फ़ैल गया आज बौद्ध धर्म विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है| इस धर्म में आपको बहुत कुछ सीखने के लिए मिलता हालाँकि और भी धर्म हमें अच्छा व्यक्तित्व के रूप में जीना सिखाते है| बौद्ध धर्म में व्यक्ति को साधारण जीवन जीना सिखाया गया है इसमें किसी भी व्यक्ति को ज्यादा जोर देकर डराया नहीं गया है|

बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध को कहा जाता है इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था| इनका जन्म 563 ई पू. में कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी ग्राम में शक्य कुल के क्षत्रीय वंश के राजा सुद्धोधन के यहाँ पर हुआ था| बुद्ध के बचपन में ही इनकी माता महामाया का देहांत हो गया था जिसके बाद उनका लालन पालन मौसी गौतमी ने किया था| बाल्यावस्था में ही उनका रुझान आध्यात्मिकता की ओर था| 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह 'यशोधरा' से हो गया था|

28 वर्ष के बाद उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम राहुल था| महात्मा बुद्ध के पहले गुरु अलार और उद्रक थे| सात वर्ष तक बुद्ध इधर-उधर भटकते रहे उसके बाद 35 वर्ष की आयु में बिहार के गया में निरंजना नदी के तट पर उर्वला स्थान पर पीपल के वृक्ष के नीचे समाधी लगा ली |  49 वें दिन बाद उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई जिसके बाद वे महात्मा बुद्ध कहलाये थे|

महात्मा बुद्ध का पहला उपदेश 'धर्मचक्रप्रवर्तन' कहलाता है| महात्मा बुद्ध ने पहला उपदेश सारनाथ में दिया था|

उन्होंने सबसे ज्यादा उपदेश 'कोसल प्रदेश श्रावस्ती' में दिया था| 

गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण 483 ई. पू. में 80 वर्ष की अवस्था में कुशीनारा में हुआ था|

महात्मा बुद्ध के अस्थि अवशेषों को आठ भाग में विभाजित करके भारत के अलग-अलग स्थानों पर स्थापित करके उसके ऊपर आठ स्तूपों का निर्माण किया गया |

महात्मा बुद्ध ने दुःख उत्पन्न होने चार प्रमुख कारण बताये थे|

  1. जीवन  दुखों से भरा है |
  2. दुःख का कारण तृष्णा, मोह, लालसा है|
  3. इन सभी का मोह त्यागकर दुखों से छुटकारा पाया जा सकता है|
  4. दुःखों का अंत करने के लिए सत्य का मार्ग अपनाना चाहिए|

बौद्ध धर्म की सभाएं (Bauddh Sabhayen)

 प्रथम बौद्ध सभा 

 ये सभा 483 ई. पू. में अजातशत्रु के काल में राजगृह में हुई थी| इसके अध्यक्ष महाकश्यप थे 

 द्वतीय बौद्ध सभा     

 ये सभा 383 ई. में कालाशोक के समय वैशाली नमक स्थान पर हुई थी| इसके अध्यक्ष सबाकामी  थे|

 तृतीय बौद्ध सभा 

 ये सभा 255 ई. पू. में पाटलिपुत्र में अशोक के शासनकाल में हुई थी| इसके अध्यक्ष मोग्गलिस तिस्स थे|

 चतुर्थ बौद्ध सभा 

ये सभा कुंडलवन में कनिष्क के शासनकाल में हुई थी| इसके अध्यक्ष वसुमित्र/अश्वघोष थे|

महात्मा बुद्ध ने मध्यम मार्ग को अपनाने की शिक्षा दी थी| उनका कहना था किसी भी कार्य को करने के लिए न तो ज्यादा विलास करना चाहिए और न ही अधिक संयम रखना चाहिए|

महात्मा बुद्ध आत्मा और ईश्वर में विश्वास नहीं रखते थे | बुद्ध नें सांसारिक दुखों के निदान के लिए एक और तरीका बताया जिसे 'प्रतीत्य एवं समुत्पाद' के नाम से जाना जाता है| 'क्षणभंग वाद और नैरात्मवाद' भी इसी से सम्बंधित है|

बौद्ध धर्म में वर्ण व्यवस्था को बिलकुल नकार दिया गया| 

पुनर्जन्म पर इस धर्म में विश्वास ज्यादा किया गया|

गौतम बुद्ध ने अपने प्रिय शिष्य आनंद के अनुरोध पर बौद्ध धर्म का दरवाजा स्त्रियों के साथ-साथ सभी के लिए खोल दिया था|

बौद्ध धर्म में कर्मकांडों और पशुबलि प्रथा का सबसे ज्यादा विरोध किया गया था|

बौद्ध धर्म में प्रवेश पाने वाली पहली महिला महात्मा बुद्ध की सौतेली माँ गौतमी थीं|

धर्मप्रचार के लिए बौद्ध धर्म में पालि भाषा का प्रयोग किया गया| 

महात्मा बुद्ध की पांच घटनाएँ

महात्मा बुद्ध की पांच घटनाएँ बौद्ध धर्म में प्रतीक के रूप में मानी जाती हैं| 

 जन्म 

 कमल एवं सांड

 गृह-त्याग

  अश्व 

 महाबोधि

 बोधिवृक्ष 

 पहला उपदेश

 धर्मचक्रप्रवर्तन 

 निर्वाण

 पद चिन्ह एवं स्तूप 

बौद्ध धर्म के सिद्धांत 

बौद्ध धर्म के सभी सिद्धांत त्रिपिटक में संकलित किये गये हैं|

  1. सुत्त पिटक : इसमें बुद्ध के धार्मिक उपदेशों का संग्रह है|
  2. विनय पिटक : इसमें बौद्ध संघ के नियमों का वर्णन किया गया है|
  3. अभिधम्म पिटक : इसमें जीवन के चरम लक्ष्य के निर्वाण प्राप्ति के बारे में बताया गया है| 

बुद्ध ने निर्वाण प्राप्ति के लिए सदाचार एवं नैतिकता पर आधारित दश शीलों पर सबसे ज्यादा बल दिया|

अशोक के समय तृतीय बौद्ध संगीत में इन्हें लिपिबद्ध किया गया था|

बौद्ध धर्म के आधार पर निर्वाण इसी जन्म में प्राप्त होता है लेकिन परिनिर्वाण मृत्यु के बाद माना जाता है | 

बौद्ध संघ की कार्यप्रणाली 'गणतांत्रिक पद्धति ' पर आधारित थी|

गृहस्थ जीवन के साथ-साथ जो बौद्ध मत को मानते हैं उन्हें उपासक कहा जाता था|

बौद्ध सभा में प्रस्तावित पाठ को 'अनुसावन' तथा बौद्ध संघ में प्रवेश पाने को 'उपसम्पदा' कहा जाता था|

कुषाण काल के समय बौद्ध धर्म दो भागों में हीनयान और महायान में बंट गया था|

इसके बाद बौद्ध धर्म में कोई रूचि नहीं रही लोगों ने पालि भाषा को त्यागकर संस्कृत भाषा को अपना लिया|

ब्राम्हण शासक पुष्यमित्र शुंग, हूडों राजा मिहिरकुल और तुर्की हमलावरों के द्वारा अनेकों आक्रमण किये गये तथा बौद्ध इमारतों को ध्वंस करने के कारण बौद्ध धर्म अलोकप्रिय होता चला गया|

बौद्ध धर्म से सम्बंधित प्रश्न  

1. बौद्ध धर्म का संस्थापक किसे माना जाता है? - गौतम बुद्ध

2. गौतम बुद्ध का जन्म कब हुआ था? - 563 ई. पू.

3.गौतम बुद्ध का जन्म कहाँ पर हुआ था? - कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी नामक स्थान पर 

4. गौतम बुद्ध के बचपन का क्या नाम था? - सिद्धार्थ (SSC-2015)

5.गौतम बुद्ध के पुत्र का नाम क्या था? - राहुल

6. महात्मा बुद्ध के जन्म का प्रतीक क्या है? - कमल  एवं सांड  (SSC-2017)

7. महात्मा बुद्ध के गृह त्याग को किस प्रकार की संज्ञा गई? - महाभिनिष्क्रमण (Railway Group-D)

8. महात्मा बुद्ध का महापरिनिर्वाण कहाँ पर हुआ था? - कुशीनारा में (UPSC)

9. बौद्ध में त्रिरत्न कौन से हैं? - बुद्ध, धम्म एवं संघ

10.चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म किन दो भागों में बंट गया? - हीनयान तथा महायान (UPSC)

11.सबसे अधिक बुद्ध मूर्तियों का निर्माण किस शैली के अंतर्गत किया गया था? - गंधार कला शैली (UPSSSC)


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