CTET & UPTET - आनुवांशिकता एवं सामाजिक परिवेश (Heredity and Environment)

 आनुवांशिकता एवं परिवेश 

हमेशा देखा जाता है कि बुद्धि गुणांक (IQ) का मूल्यांकन करते समय एक ही वय एवं प्रष्ठभूमि के लोगों की बौद्धिक परिलब्धि में बिलकुल असमानता पायी ज़ाती है इसके कुछ लोग वय के होकर बहुत ही तीव्र क्रियाशील होते हैं जितना दूसरे नहीं, ये सब सामाजिक परिवेश में प्राप्त सुविधाओं एवं अनुभवों के आधार पर अर्जित माना जाता है| काफी प्रयास के बाद भी बहुत से लोग उस स्तर तक नहीं पहूंच पाते हैं लेकिन बहुत से लोग प्राप्त भी कर लेते हें| 

CTET & UPTET anuvanshikta evn parivesh
CTET & UPTET Anuvanshik avam Parivesh

अधिकतर 20 वर्ष पहले तो स्थित ऎसी थी कि बुद्धि परीक्षण या मनोवैज्ञानिक दो समूहों में बंट गये|जिसमें बौद्धिक परिलब्धता का सारा दायित्व जीव वैज्ञानिकों एवं मनोवैज्ञानिकों ने पूरी तरह से आनुवंशिकता की प्रष्ठभूमि को हो ही दे दिया और परिवेश के प्रभाव को बिलकुल नकार दिया|

इस प्रकार आनुवंशिक के प्रभाव को मानने वाले विद्वानों का कहना है कि मनुष्य के बौद्धिक स्तर में कोई परिवर्तन नहीं ला सकती है शिक्षा के द्वारा व्यक्ति को अलग - अलग श्रेणियों की सूचनाओं, तकनीकि कौशलों और गुणवत्ता के द्वारा अधिक उपयोगी बनाया जा सकता है जिससे व्यक्ति के अन्दर अपनी क्षमता के अनुरूप प्रयोग कर सके|

प्रकृति एवं पोषण 'नेचुरल एंड नेचुरल' दोनों का वैयक्तिक विकास में योगदान आपसी मेलमिलाप या अंतर्क्रियाशील का सिद्धांत कहलाता है|

जिस प्रकार परिवेश का संवर्शन आनुवंशिकता के बिना नहीं हो सकता उसी प्रकार भोजन, पेय शारीरिक विकास में उपयोगी हैं और परिवेश, शैक्षिक सुविधाएं,मानसिक क्रियाशीलता के लिए जरूरी है|

सामाजिक विकास की प्रक्रिया एवं बाल आधारित सामाजिक परिवेश 

सामाजिक विकास से मतलब एक ऐसी क्षमता को अर्जित करना होता है जिसके द्वारा हम समाजिक आकाँक्षाओं के अनरूप स्वयं को प्रस्तुत कर सकें| इस सामाजिक विकास के लिए तीन प्रकार की प्रक्रियाओं से प्रत्येक बच्चे या वयस्क को गुजरना पड़ता है और ये तीनों एक दूसरे से मजबूती से जुड़े है जो इस प्रकार हैं -

(1) समाज-समस्त प्रकार से व्यवहार करने को सीखने कार्य

इसके लिए समाज-समस्त तरीकों को जानने के साथ उन्हें अपने व्यवहार में उतारकर एक आदर्श प्रस्तुत करने का प्रयास करना आवश्यक है|

(2) समुदाय के समस्त व्यवहार का अनुपालन 

इसमें समाज में माता-पिता, पुत्र-पुत्री, छात्र-अध्यापक आदि के लिए निर्धारित मानक व्यवहारों के अनुपालन का प्रयास करना शामिल है|

(3) समाज के समस्त अभिवृत्ति का विकास 

इसके अंतर्गत लोग ऐसे किसी व्यक्ति या कार्य से जो समाज के लिए अशोभनीय होता है और ऐसे किसी व्यक्ति से जो उन्हें अनुरुचिकर प्रतीत होता है उससे अपने को दूर रखते है, भले ही प्रदर्शन नहीं करते है तथा एक अच्छा तालमेल रखने का प्रयास करते हैं|
इस स्थित में बहुत प्रयास करने पर भी कुछ लोग पूरी तरह समज में समस्त नहीं बन पाते हैं और कुछ लोग बेहतर तालमेल नहीं बैठा पाते हैं| इस प्रकार की स्थित को चार भागों में बांटा जा सकता है|
(i) सामाजिक : ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में अच्छे तालमेल के साथ ऊपर दिए गये तीनों प्रक्रियाओं को अपनाकर उसी के अनुरूप व्यवहार करते हैं|
बचपन में बालक के अन्दर उत्साह होता है कि वह दूसरों के साथ जुड़े| जब ये जरूरत पूरी हो जाती है तो वे अंत्यंत प्रसन्न महसूस करते हैं|
(ii) समजेतर : ऐसे लोग सामाजिकता की प्रक्रियाओं को अपनाने से चूक जाते हैं और समुचित सफलता प्राप्त नहीं कर पाते हैं जिसके कारण वे सामाजिकता के निचले पायदान पर पहुँच जाते हैं और एक प्रकार से समजेतर बन जाते हैं| इस प्रकार के बच्चे जब समाज के अनुरूप कार्य करते हैं तो पिछड़ जाते हैं|
(iii) समाजहीनता : बहुत से ऐसे लोग जो समाज के मानकों, तौर-तरीकों एवं परम्पराओं से अनजान होते है जिसके कारण उनका व्यवहार सामाजिक आकाँक्षाओं के अनुरूप न होने से समाज द्वारा सामुदायिक रूप से अस्वीकृत हो जाते हैं | ऐसे व्यक्ति अपना समय अकेलेपन में व्यतीत करते हैं| ऐसे बच्चे मूल धारा से अलग आत्मलीन और अंतर्मुखी होते हैं |
(iv) असामाजिक : बहुत से ऐसे लोग जो समाज की समस्त नियमों और परम्पराओं से भली-भांति परिचित होते हुए भी अपने को अहम् भाव से विशिष्ट दिखने का प्रयास करते हैं और ऐसे क्रियाकलाप करते है जो सामाजिकता से बिलकुल होता हैं | ऐसे लोग समाज के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होते हैं |

सामाजिक समुदायों का सामाजिक विकास पर प्रभाव 

इसका प्रभाव बचपन में बहुत ज्यादा पड़ता है और किशोरावस्था तक चलता रहता है ये बात अलग है कि सबके ऊपर यह व्यवहार अलग-अलग पड़ता है| ये प्रभाव इतना स्पष्ट होता है कि यह पूर्वाभास हो जाता है कि किसी पर इसका प्रभाव कितना पड़ेगा|
जब बच्चे प्रारम्भ में स्कूल जाते हैं तब बच्चे को सामाजिकता देने वाली सबसे बड़ी क्रियाशील संस्था उसका परिवार होती है| 
7 वर्ष की आयु तक पहुँचते- पहुँचते बच्चे पर समुदाय का प्रभाव जिसमें वह होता है उसके लिए काफी महत्वपूर्ण होता है| 
जब बच्चा स्कूल में प्रवेश करता है तब उसके ऊपर सामाजिकता के वाहक अध्यापक का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है|
जब बच्चा आगे बढ़ता है तब उम्र बढ़ने के साथ-साथ प्रतिष्ठित समूह सदस्यों का प्रभाव माता-पिता तथा शिक्षकों से भी बढ़कर हो जाता है| 
समुदाय का सामाजिक प्रभाव बच्चे के सामाजिक विकास पर तीन प्रकार से पड़ता है| 
  1. इस आकांक्षा से प्रेरित होता है कि वह समाज में उसकी आकांक्षा के अनुरूप स्वीकार्य हो जो उसके व्यवहार में आमूल-चूल परिवर्तन लाती है और वह समुदाय की आशा के अनरूप अपने मूल्यों और अभिप्रत्तियों को परिवर्तित करता है|
  2. इसमें बच्चा अपने व्यक्तित्व को ज्यादा सीखने के लिए स्वयं को पारिवारिक प्रभाव से मुक्त करके एक स्वतन्त्र व्यक्ति के रूप से सोचना सीखते हैं और अपना स्वतंत्र निर्णय लेने का प्रयास करते हैं, भले ही ऐसे मूल्य उनके परिवार के समान न हो|
  3. तीसरा वह प्रभाव क्षेत्र है जो बच्चों की अपनी संकल्पना पर आधारित है, यदि बच्चा दूसरों के विचार उनके लिए अपेक्षित है तो बच्चे उन्हें अपनाकर सहयोगी या पक्षीय महसूस करते हैं और स्वयं में गौरवान्वित महसूस करने लगते हैं| इसके बिलकुल विपरीत जब वे विचार उनकी इच्छा के विपरीत है तो बच्चे अपने को और अपने विचारों को तिरस्कृत तथा नापसंद करने वा मान लेते हैं|
इस प्रकार हम समझ सकते हैं कि प्रभाव बचपन से ही उसके जीवन की सफलता या असफलता को निर्धारित कर सकता है|

महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

1. प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम क्या होना चाहिए?-मातृभाषा

2. यदि शिक्षक कक्षा में किसी छात्र की निंदा करता है, तो छात्र पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? - छात्र अपमानित महसूस करेगा और हीनता का शिकार हो जाएगा

3. बच्चे के बौद्धिक विकास में परिवेश का योगदान कितना है? -परिवेश का योगदान अनुभवों एवं मूल्यों के द्वारा बौद्धिक क्षमता के तालमेल के अनुरूप है 

4. वंशक्रम सम्बन्धी नियमों में क्या शामिल है? -समानता, विभिन्नता, प्रत्यागन का नियम

5. कक्षा का अनुशासन किससे सम्बंधित है? -विषय के प्रस्तुतिकरण से 

6.बच्चे के बौद्धिक विकास में परिवेश का योगदान कितना होता है? -परिवेश का अनुभवों एवं मूल्यों के द्वारा बौद्धिक क्षमता के तालमेल के साथ जुड़ा होना चाहिए 

7.वंशक्रम सम्बन्धी नियमों में क्या शामिल है? -समानता, विभिन्नता, प्रत्यागन का नियम 

8.कैलिकाल परिवार का अध्ययन' किसने किया था? - गोडार्ड 

9.'प्रकृति एवं पोषण' के सिद्धांत का क्या अर्थ है? -पैत्रक विरासत में प्राप्त बौद्धिक संपदा को परिवेश में उपलब्ध गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अनुभवों से पुष्टि करना 

10. 'जॉन डीवी' किस विचारधारा के शिक्षाशास्त्री थे? -प्रयोजनवाद 

11. वंशक्रम सिद्धांत के प्रतिपादक कौन हैं? -मैंडल 

12. स्टेफर्ड परीक्षण किसके द्वारा निर्मित है? -टर्मन द्वारा (1916)

13.शिक्षण का पहला चरण कौन सा है? -पहले से ही योजना बना लेना 

14. आदर्शवाद की मुख्य शिक्षण विधि कौन सी है? -वास्तविक कारण की खोज करना 

15.किसी कक्षा में सबसे महत्वपूर्ण स्थान किसका होता है? -छात्र का 

16.मुल्यांकन का सबसे अच्छा रूप कौन सा है? -सतत एवं व्यापक मुल्यांकन 

17. एक अच्छे शिक्षक को शिक्षण विधियों का ज्ञान क्यों होना चाहिए - क्योंकि इससे शिक्षण अधिक प्रभावशाली होता है

18.अध्यापक प्रशिक्षण क्यों उपयोगी होता है - क्योंकि इससे शिक्षण कौशलों का बोध होता है 

19. कक्षा शिक्षण में कोई मनोरंजक प्रसंग आने पर छात्रों का खुलकर हस देना क्या प्रदर्शित करता है? - प्रभावी शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया 

20.शैक्षिक पाठ्यक्रम किससे प्रेरित होना चाहिए? -प्रयोजन से 

21.यदि कोई परीक्षण विभिन्न अवसरों पर समान परिणाम देता है, तो यह कहलाता है? - वैध परीक्षण 

22.प्रश्न पत्र का सही स्वरूप कैसा होता है? - पहले आसान और बाद में कठिन प्रश्न 

23.अध्येता केन्द्रित शिक्षण से क्या मतलब है? - छात्रों को मनमानी करने की छूट 

24.शिक्षा सार्थक कब होगी? - छात्र-केन्द्रित हो 

25. वैज्ञानिक अभिवृत्ति रखने वाला छात्र क्या करता है? - विवेकपूर्ण चिंतन

26. कक्षा-शिक्षण की सफलता किसमें निहित है? -शिक्षक और छात्रों के बीच संतुलित एवं सुसंगत संवाद में 

27.मूल्यांकन में क्या अन्तर्निहित है? -खाने पीने की प्रेरणा 

28. प्राथमिक स्तर का पाठयक्रम क्या होना चाहिए? -बाल-केन्द्रित

29. कभी-कभी अध्येता प्राथमिक विद्यालय को नापसंद करता है? - आनंद मई अधिगम न होने पर 

30. दैनिक मूल्यांकन लाभदायक होता है? -बालकों की तात्कालिक शैक्षिक स्थित का पता लगाने में 

31. कौन सा गुण सफल अध्यापक होने के लिए आवश्यक है? -विषयवस्तु का समुचित ज्ञान होना 

32. प्रभावी और सफल शिक्षण के लिए क्या आवश्यक है? - व्यावहारिक उदाहरणों द्वारा विषय को स्पष्ट करना

33.विद्यार्थियों के अधिगम का मूल्यांकन कैसे होना चाहिए? - सतत एवं व्यापक प्रक्रिया से 

34. शिक्षा की खेल विधि से क्या अर्थ है? - खेल क्रियाओं द्वारा शिक्षा 

35.बाल केन्द्रित से क्या मतलब है? - अध्ययन करते हुए कि बालक को कैसे पढ़ेगा तथा सीखने की परिस्थितियां उत्पन्न करना


दोस्तों उम्मीद है ये पोस्ट पढ़कर आपको नॉलेज मिला होगा हमें कमेन्ट बॉक्स में जरूर बताएं जिससे हम और बेहतरीन पोस्ट आपके लिए लाते रहें |
धन्यवाद|

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