CTET & UPTET - शिक्षक पात्रता परीक्षा- 2024 में बाल विकास एवं शिक्षण विधि

बाल विकास एवं शिक्षण विधि (Child Development and Pedagogy)

बाल विकास का अर्थ बालक एवं बालिकाओं दोनों का विकास होता है| जैसा की हम सभी जानते हैं मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और इसकी शारीरिक तथा मानसिक विकास की संभावनाएं बच्चे के विकास की प्रक्रियाओं के मूल सिद्धांत से सम्बंधित हैं जो आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे|

UPTET & CTET :शिक्षक पात्रता परीक्षा
UPTET & CTET - शिक्षक पात्रता परीक्षा- 2023 

  • हमें अपने बच्चे के शारीरिक एवं मानसिक विकास की आरंभिक प्रक्रियाओं के बारे में समझना चाहिए| इस सम्बन्ध में हम न तो बच्चे की वय से ज्यादा विकास का भ्रम पालें और न ही कम क्योंकि इन दोनों स्थितियों में बच्चे का सर्वागीण विकास व्यतिक्रम अपने आप पूर्ण हो जाता है|
  • शोध के आधार पर बच्चो में लिंग के अनुसार ऊंचाई और वजन के विकास के मानक निर्धारिक किये गये हैं| ज्यादातर बच्चों का विकास एक जैसा ही होता है लेकिन यदि बच्चे में कोई विसंगति पायी जाती है तो इसके कारकों का अनुशीलन करना आवश्यक हो जाता है|
  • सफल मार्गदर्शन होने से ही बच्चे का सर्वागीण विकास संभव है| यदि बच्चे ने चलने की उम्र प्राप्त कर ली है तो उसे चलने का प्रायोगिक प्रशिक्षण अवश्य दिया जाना चाहिए|
  • सामान्य विकास की प्रक्रिया जानने पर माता-पिता और शिक्षक बच्चे को ऐसे परिवर्तन आने के पहले ही तैयारी शुरू कर देते हैं,जो शारीरिक रूचि एवं व्यवहार में होने वाले होते हैं जैसे- बच्चे को स्कूल बस में चढ़ना, अपनी ड्रेस पहनना, अपना बैग और पानी की बोतल को ठीक से रखना आदि|

 बच्चो का विकास के प्रकार और उनका महत्त्व

 
जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं उनके विकास का क्रम सतत एवं शनै: शनै: निर्बाध रूप से होता रहता है| शिक्षा में भावी को क्रमबद्ध ढंग से सुनिश्चित करने की क्षमता होती है|
बाल विकास से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के क्रमबद्ध किये जा सकते हैं जो इस प्रकार हैं -

(a) शारीरिक विकास एवं उर्जा संघटन 

बच्चों का शारीरिक विकास उनकी वय के आधार पर होता रहता है| इसमें वैयक्तिक विभिन्नता भी देखी जा सकती है जो खान-पान संतुलित आहार, व्यायाम एवं विकास के लिए उचित वातावरण द्वारा प्रभावित होती है|
 

 आयु सीमा 

 विकास की अवस्थाएं 

 जन्म से 2 वर्ष तक         

 शैशवकाल 

 2 से 6 वर्ष तक 

 पूर्व बाल्यकाल 

 6 से 12 वर्ष तक 

 उत्तर बाल्यकाल 

 12 से 18 वर्ष तक      

 किशोरावस्था 

 18 से 40 वर्ष तक 

 युवा-प्रौढ़ावस्था 

 40 से 65 वर्ष तक 

 परिपक्व प्रौढ़ावस्था 

 65 से ऊपर 

 वृद्धावस्था 


(b) मानसिक बढ़त एवं बुद्धि का विकास 

मानसिक विकास का सीधा सम्बन्ध वच्चों की बुद्धि का क्रमिक विकास से होता है जो कि बुद्धि लब्धि (IQ) से प्रतिबंधित होता है| मानसिक विकास के आधार पर बच्चों को भाषा ज्ञान प्राप्त करना प्रमुख होता है जिसके लिए वह अपने आस-पास के परिवेश से शब्द लेकर अपनी भाषा में बोलने का सामर्थ्य संवर्धित करता है|

(c) संकल्पना का विकास 

बच्चा स्कूल जाने से पहले घर पर ही अपने अनुभव के आधार पर विभिन्न प्रकार की चीजे सीख जाता है जैसे- मोटर साईकिल , पुस्तकें, डॉक्टर, सड़क, दुकान, घर आदि| इसके अतिरिक्त समस्या का तार्किक हल निकालने की क्षमता भी उत्पन्न हो जाती है|

(d) भावनात्मक विकास 

बच्चा सीखते समय कई प्रकार के भावनात्मक अनुभवों से गुजरता है, जिसमें वह प्यार, गुस्सा, खीझ, लगाव आदि भाव घर के वातावरण में तथा अन्य बच्चों से एवं परिवार से सीखता रहता है| इससे बच्चों में लगाव, अपनत्व का भाव, सुरक्षा एवं सम्मान भाव उत्पन्न होता है|

पियाजे के विकास का संज्ञानात्मक सिद्धांत 


पियाजे के अनुसार - विकास एक ऐसी प्रक्रिया नहीं है जिसमें क्रमिक परिणात्मक परिवर्तनों के साथ निरंतर प्रगति होती है| उसके अनुसार, शारीरिक विकास की तरह, संज्ञानात्मक विकास भी कई चरणों में होता है| 
पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास चार अवस्थाएं होती हैं 
अवस्था 1 - संवेदी- गत्यात्मक अवस्था (जन्म से दो वर्ष तक)
अवस्था 2 - पूर्व संक्रियावस्था (दो से सात वर्ष तक)
अवस्था 3 - मूर्त संक्रियावस्था ( सात से 11 वर्ष तक)
अवस्था 4 - आकारिक-संक्रियात्मक अवस्था (11 वर्ष से 15 वर्ष तक)

 बहुभाषिकता (Multiligualism)


बहुभाषिकता एक ऐसी स्थित होती है जिसमें बच्चा एक से अधिक भाषाओं के संपर्क में आता है| भारत के शहरी क्षेत्रों में ऐसी स्थित प्रायः देखने को मिलती है जिसमें घर में बच्चा हिंदी बोलता है लेकिन पड़ोस में दूसरा बच्चा अगर अंग्रेजी भाषा में बोलता है तब उसे दो भाषाओं की समस्या से गुजरना पड़ता है इससे बच्चे में संदेह की स्थित उत्पन्न हो जाती है|वह समझ नहीं पाता है| ऐसी स्थित में शिक्षक एवं अभिभावक को इस समस्या को समझना चाहिए | बहुभाषिकता होने पर बच्चे को निम्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है|

उच्चारण में समस्या 

हर भाषा की अपनी ध्वनि व्यवस्था होती है| नई भाषा सीखने में पहली समस्या यह होती है कि बच्चे को नई भाषा की ध्वनियों, लयात्मकता आदि की आदत डालनी पड़ती है| बच्चा नई भाषा तो सीख लेता है लेकिन उसका उच्चारण नहीं कर पाता है क्योकि वह पहले वाली भाषा से प्रभावित हो जाता है|

शब्दों के लेन -देन में समस्या 

बच्चा जिन भाषाओँ को सीख रहा है उनके शब्द बच्चे के लिए उलझन की स्थित पैदा कर सकते हैं|वह एक भाषा को दूसरी भाषा में प्रयोग कर सकता है|

वाक्यों में कठिनाई 

बच्चे को अपनी मात्रभाषा के व्याकरण का इतना अभ्यास हो जाता है कि वह नई भाषा में वाक्यों की रचना मात्रभाषा की वाक्य संरचना के अनुरूप लगने लगता है|भाषा एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा लोग अपने विचारों और भावनाओं का दूसरों के सामने व्यक्त करते हैं| मात्रभाषा ऐसी भाषा होती है जिसमें बच्चा अपने को अभिव्यक्त करना और दूसरों को समझना सीखता है| 
ज्यादातर बच्चे नई भाषा बोलने के लिए संकोच करते हैं वे अपनी मात्रभाषा में ही संतुष्ट रहना चाहते हैं| ऐसी स्थिति में बच्चे की सहायता करने के लिए शिक्षक को चाहिए कि बच्चे को अच्छी तरह समझे और उस पर किसी भी प्रकार का दबाव न रखे|

 समाकलित बाल विकास में शिक्षक की भूमिका


शारीरिक विकास (Physical Development)

बच्चे के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण है बच्चे का शारीरिक विकास | विद्यालय में बच्चे के शारीरिक विकास को बढाने के लिए कुछ क्रियाकलाप निम्न हैं-
(a) विद्यालय में गंभीर अध्ययन ही नहीं बल्कि उनके विश्राम और मनोरंजन के लिए भी समय होना चाहिए|
(b) निर्धन बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन एवं जरुरत की चीजे दिया जाना चाहिए|
(c) विद्यालय में खेलकूद और व्यायाम की व्यवस्था होनी चाहिए|
(d) विद्यालय में बच्चों को चिकित्सीय सुविधा की व्यवस्था करनी चाहिए|
(e) बच्चों को सफाई और स्वच्छता की आदतें सिखाई जानी चाहिए|

मानसिक विकास (Physiology Development)

बच्चे का विकास 5 वर्ष तक पूरी तरह विकसित हो जाता है 5 वर्ष की उम्र के बाद बच्चा विद्यालय जाना शुरू करता है| बच्चा अक्षर ज्ञान के माध्यम से कौशलों को सीखता है और उनका प्रयोग करता है| भाषा और वाणी का विकास विद्यालय की शिक्षा के साथ-साथ होता रहता है| विद्यालय में शिक्षक के द्वारा बच्चे के प्रति विभिन्न क्रियाकलाप कर सकते हैं|
(a) शिक्षकों को बच्चों में सही अभिवृत्तियों, रूचि और कौशल का विकास करना चाहिए|
(b) कक्षा का वातावरण बिलकुल तनावमुक्त होना चाहिए|
(c) अधिगम के लिए रूचि उत्पन्न करने के लिए अधिगम सम्बन्धी क्रियाकलापों को बच्चे के दैनिक जीवन और अनुभव से सम्बद्ध होना चाहिए|

सामाजिक विकास (Social Development)

सामाजिक विकास को बढाने के लिए कुछ क्रियाकलाप के लिए निम्न सुझाव दिए गये हैं|
(a) बच्चो में खेल, समूह- परियोजनाओं और टूर का आयोजन किया जाना चाहिए|
(b) शिक्षकों को एकाकी और अपेक्षित बच्चों को समझना चाहिए और उन्हें मित्र बनाने में उनकी सहायता करना चाहिए|
(c) शिक्षार्थियों को सामुदायिक खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए|
(d) बच्चों को नागरिक दायित्व , सार्वजानिक संपत्ति के मूल्य आदि के महत्त्व का ज्ञान कराना चाहिए|
बच्चों के विकास के लिए अध्यापक को निम्न प्रकार की भूमिका निभानी  चाहिए|
  1. बच्चे को डरा धमकाकर शिक्षा नहीं देनी चाहिए बल्कि बच्चे की समस्याओं को समझकर कर उसका निवारण के बारे में मदद करनी चाहिए|
  2. सकारात्मक प्रशिक्षण बच्चों में 'स्व- निदेशन' तथा 'स्व- नियंत्रण की भावना' उत्पन्न करता है और उसे प्रोत्साहित करता है|
  3.  बच्चों में अनुशासन की भावना विकसित करना चाहिए उन्हें उनमें कठोर व्यवहार की भावना नहीं रखना चाहिए|
  4. अध्यापक को छात्रों के सामने ऐसी चुनौतीपूर्ण स्थतियों का निर्माण करना चाहिए जिससे बच्चे का संभावित परिस्थतियों में अपनी मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं का विकास हो सकें|

महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

अब हम UPTET & CTET - शिक्षक पात्रता परीक्षा से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर के बारे में पढेंगे जो आपके आगे आने वाली  परीक्षा के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकते हैं|

1. बच्चों के राष्ट्रीयता के विकास के लिए शिक्षकों को क्या करना चाहिए? - विद्यालय में राष्ट्रीय कार्यक्रमों को आयोजित करना चाहिए 

2.  बच्चे के मस्तिष्क का आकार किस आयु में लगभग परिपक्व हो जाता है? - 6 वर्ष में

3. शिक्षा शास्त्र एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है  - जिसमें हर प्रकार की शिक्षण विधि का अध्ययन किया जाता है 

4. किस मनोवैज्ञानिक के अनुसार, सभी बालक जन्म के समय समान होते हैं? - वाटसन 

5. विकास किसका उत्पाद होता है? - अधिगम तथा परिपक्वता का 

6. "मनोविज्ञान का सिद्धांत" किस मनोवैज्ञानिक ने लिखा था?  - विलियम जेम्स 

7. प्रयोगात्मक विज्ञान का पिता किसे कहा जाता है? - वुड को 

8.  बच्चे का सबसे पहला शिक्षक कौन होता है? - माता 

9. बच्चे को चलना सीखने के लिए सबसे पहले कौन-सी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है? - उसको आश्रय देकर खड़ा होने साहस प्रदान करके चलना सीखाना चाहिए 

10. मनोविज्ञान के अंतर्गत किस विचार को "प्रथम बल" की संज्ञा दी जाती है? - मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

11. बच्चा माँ का दूध पीकर क्या प्राप्त करता है? - पौष्टिक आहार एवं निरोगता 

12. बालक और बालिकाओं के विकास की दर अलग-अलग क्यों होती है? - क्योंकि दोनों का शारीरिक एवं मानसिक विकास प्रकृति प्रदत्त संरचना के अनुसार समानुपातिक ढंग से होता है|

13. मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला की स्थापना सबसे पहले किसने की थी? - वुड 

14. भारत में प्रथम मनोवैज्ञानिक प्रयोगशाला कहाँ स्थापित की गयी थी? - कलकत्ता 

15. बच्चों की शारीरिक अभिवृद्धि और मानसिक विकास के कारण उनके अन्दर होने वाले पूर्व परिवर्तनों का क्या होगा? - पूर्व परिवर्तन लुप्त हो जाते हैं 

16. यदि कोई बच्चा अपनी वय के प्रतिकूल आचरण करते हुए विलक्षण प्रदर्शन करें तो यह किसका प्रभाव होगा?  - अत्यधिक बुद्धि के गुणांक के प्रभाव से बुद्धि प्रकृति प्रदत्त होती है 

17. समाजीकरण करने वाली सबसे पहली संस्था कौन सी है? - घर 

18. 3 वर्ष या उससे ऊपर के बच्चे की उम्र के बच्चों को सिखाने के लिए कौन सी विधि सबसे अधिक उपयोगी होती है| - परिवेश में उपलब्ध सामग्री द्वारा खेल-खेल में सिखाना 

19. शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेगात्मक विकास किस अवस्था में पूर्णता पर पहुँच जाता है? -किशोरावस्था

20. विकास के अधिगम सिद्धांत को किसने प्रतिपादित किया था? -रॉबर्ट रिचर्डसन सीयर्स 

21. मनोविज्ञान को किस विज्ञान के रूप में परिभाषित किया  जाता है? -मन एवं व्यवहार 

22. बच्चे को कैसे रंग पसंद आते हैं? -चमकीले और चटख रंग जैसे- लाल, पीला, गुलाबी, हरा रंग 

23. "मनुष्य को जो बनना होता है प्रारम्भ के चार-पांच वर्ष में ही बन जाता है" -यह कथन किसका है - फ्रायड का 

24. छोटे बच्चों को अभिभावक स्कूल क्यों भेजते है? - बच्चे को सामुदायिक रूप में नए अनुभव सीखने को मिलता है 

25. बच्चे किसके सानिध्य में रहकर ज्यादा सीखते हैं? -स्कूल में शिक्षक के पास समूह में रहकर 

26. किस अवस्था में बालिकाओं का भाषिक विकास बालकों से उच्च होता है? -बाल्यावस्था में 

27. बच्चे में बौद्धिक विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक क्या है? - सामाजिक परिवेश एवं परिवार में प्राप्त अनुभव 

28. मौखिक प्रतिवेदन किसके द्वारा तैयार किया गया था? -वाटसन द्वारा 

29. यदि आपकी कक्षा में शर्मीला बच्चा आ जाए तो आप उसके सीखने को आप कैसे संवर्धित कर सकते हैं? -बच्चे में आत्मविश्वास बढाने के लिए सभी बच्चों के साथ मिल-जुलकर, अपना लंच शेयर कर, सबके साथ गाने और खेलने को प्रोत्साहित करेंगे 

30. सीखने की प्रक्रिया में बच्चे को शैक्षिक कार्य करने के लिए सबसे बड़ी कठिनाई किस बात से होती  है? -अक्षरों को पहचानकर लिखना  

31. किस मनोवैज्ञानिक ने बालकों के साथ फोबिया पर काम किया था? -वाटसन 

32. मनोविश्लेष्णात्मक (Psychoanalysis) उपागम का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया? -फ्रायड

33. कक्षा के मनोवैज्ञानिक वातावरण की जिम्मेदारी मुख्यतः किसकी होती है? -कक्षा शिक्षक की होती है 

34. यदि बच्चा एक ही गलती बार-बार सुधारने पर कर रहा है तो आप क्या करेंगे? -बच्चे को सही प्रक्रिया में बता कर उसे बार-बार लिखित रूप से दोहराने को कहेंगे 

35. व्यवहारवाद की स्थापना किसने की थी? -वाटसन ने 


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