भूकंप (Earthquake) किसे कहते हैं? - by speedgk.in

भूकम्प (Earthquake) प्रथ्वी के भू-पटल की कम्पन या लहर होती है जो धरातल के अन्दर ऊपर या नीचे चट्टानों के लचीलेपन या गुरुत्वाकर्षण समस्थिति में विक्षोभ के कारण उठता है |

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Earthquake

आर्थर के अनुसार - जब किसी तालाब में कोई पत्थर फेंका जाता है तो सभी दिशाओं की ओर लहरों की एक श्रंखला आरंभ होने लगती है | ऐसी चट्टानों के आकस्मिक विक्षोभ द्वारा विक्षोभ की जगह से सभी दिशाओं की कम्पन होने लगता है| इन कम्पनों को हम भूकम्प कहते हैं|
सेलिबरी के अनुसार - भूकम्प धरातल पर उत्पन्न होने वाले वे कम्पन होते हैं जो मानव से जुड़े नहीं होते हैं |
भूकम्प जब आता है उस समय उत्पन्न होने वाली लहरें भूकम्प के केंद्र से उठतीं हैं जिन्हें हम भुकम्पीय लहरें या तरंगें कहते हैं|
इन्हें हम सिस्मोग्राफ पर रिकार्ड कर सकते हैं|भूकम्प की लहरें तीन प्रकार की होती हैं जिसे हम P, S तथा L के रूप में जानते हैं|

 भूकम्प के प्रकार (Types of Earthquake)


भूकम्प के कई प्रकार होते हैं जिनका विवरण आपको नीचे दिया गया है इन्हें ध्यान से पढने का प्रयास करेंगे|
ज्वालामुखी भूकम्प - ऐसे भूकम्प जो ज्वालामुखी के उदभेदन से उत्पन्न होते हैं उन्हें हम ज्वालामुखी भूकम्प कहा कहते हैं| 
विवर्तनिक भूकम्प  - ऐसे भूकम्प जो प्रथ्वी की आकस्मिक हलचलों के कारण उत्पन्न होते है उन्हें हम विवर्तनिक भूकम्प कहते हैं| भू-गर्भ में जब कहीं आकस्मिक हलचल होती है तो उसमें भू-गर्भ में दरारें उत्पन्न होती हैं| दरारों के उत्पन्न होने से धरती के अन्दर भारी टक्कर होती है जिसके कारण प्रथ्वी के ऊपर भूकम्प उत्पन्न होने लगता है|

भूकम्प उत्पन्न होने के कारण 

सामान्यतः भूकम्प के आने के निम्न कारण हो सकते हैं जो आपको नीचे दिए गये हैं|
  1. ज्वालामुखी क्रिया 
  2. विवर्तनिकी 
  3. समस्थिति समायोजन
  4. प्रत्याश्च पुनश्च सिद्धांत 
ज्वालामुखी क्रिया :- ज्वालामुखी एक आकस्मिक घटना होती है | इस घटना में भू-गर्भ में मैग्मा तथा लावा बाहर निकलकर आता है तब कम्पन उत्पन्न होने लगता है | 
विवर्तनिक कारण- विवर्तनिक के कारण प्रथ्वी पर तनाव के कारण संपीडन उत्पन्न होने लगता है| इससे धरती पर अव्यवस्था उत्पन्न हो जाती है|
समस्थिति समायोजन :- अपरदन के कारण जब स्थलीय भागों को अपरदित करके उनका तलछट समुद्र की तली में जमा होता है जिससे समुद्र की तली का भार बढ़ जाता है तथा चट्टानें धसक जाती हैं भूमि का संतुलन बनाये रखने के लिए पर्वतों को ऊपर उठाना पड़ता है इससे चट्टानों में कम्पन होने लगता है जिसे हम भूकम्प कहते हैं|
प्रत्याश्च पुनश्च सिद्धांत :- अमेरिका के भूगर्भवेत्ता एफ.एस. रीड के अनुसार चट्टानें रबड़ की तरह लचीली होती हैं इसलिए उनमें तनाव एवं संकुचन होने लगता है | तनाव उत्पन्न होने से से वे एक निश्चित सीमा तक बढ़ जाने के बाद टूट जाती हैं जैसे ही ये चट्टानें टूटती हैं उनका टुटा हुआ भाग दोबारा अपने स्थान पर आने का प्रयास करने लगता है जिससे प्रथ्वी पर कम्पन उत्पन्न होता है जिसे प्रत्याश्च पुनश्च सिद्दांत कहते हैं|

और भी ऐसे कई कारण होते है जिससे भूकम्प की स्थित पैदा हो जाती है| जैसे जब किसी दरार द्वारा भू-गर्भ में जल पहुँचता है तब वह जलवाष्प में वृद्धि करता है जिससे हलचल होती है| 
आतंरिक भाग में जल की रासायनिक क्रिया द्वारा भी धरती ढीली हो जाती है जिससे ऊपर की धरती धंसने लगती है और भूकम्प उत्पन्न हो जाता है|

 भूकम्प के प्रभाव (Effect of Earthquake)


भूकम्प के उत्पन्न होने से काफी जन-धन की हानि होती है जिससे जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है लोग बेघर हो जाते हैं हैं | वैसे हम भूकम्प के प्रभाव को हम दो श्रेणियों में बांटकर पढेंगे |
  1. विनाशकारी प्रभाव 
  2. लाभकारी प्रभाव 

 विनाशकारी प्रभाव (Destructive effect)


भूकम्प मानव जीवन के लिए विनाशकारी एवं लाभकारी दोनों ही होते हैं | सबसे पहले हम जानते हैं भूकम्प से हमें क्या-क्या हानियाँ होती हैं|

जन-धन की हानि

 भूकम्प जब उत्पन्न होता है उसके बाद जो स्थित पैदा होती है वह बहुत ही भयानक स्थित होती है जिससे धरती पर चीजें अस्त-व्यस्त हो जाती हैं तथा अपार जन-धन की हानि होती है|

भूस्खलन 

भूकम्प के आने से धरती पर अनेकों दरारें पड़ जाती हैं ये दरारें कभी-कभी इतनी बड़ी होती हैं कि उनमें पूरा शहर समा जाता है जिससे भारी मात्रा में जन-धन की हानि होती है| पर्वतीय भागों में अक्सर भूस्खलन आते रहते हैं जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए अक्सर भूस्खलन का खतरा बना रहता है|

धरातल में परिवर्तन 

धरातल में परिवर्तन होने से कई प्रकार के अजीबों गरीब तरीके से परिवर्तन होने लगते हैं| स्थल पर जल-प्रवाह में उलट फेर होने लगता है | कहीं-कहीं नदियाँ, झीलें तथा दलदल बनकर ऊपर उठकर शुष्क हो जाते हैं | कहीं नए स्रोत फूटकर झीलों का निर्माण हो जाता हैं जिससे नदियों का प्रवाह बदल जाता है| भूस्खलन से तो नदियों के प्रवाह में जाम लग जाता है तथा बांध टूटने से भयावय स्थित पैदा हो जाती है|

जल तरंगों की उत्पत्ति 

जिन सागर तटों पर भूकम्प आते हैं, उनके आने से समद्र में खतरनाक रूप धारण कर लेती हैं जिससे काफी जन-धन की हानि होती है|

 लाभकारी प्रभाव (Profitable effect)


भूकम्प उत्पन्न होने से हमें कई प्रकार के लाभ भी होतें हैं जो निम्न प्रकार है|

नवीन भू-आकार बनना 

भूकम्प के धरातल पर कई नवीन भू-आकारों का निर्माण होता है|प्रथ्वी के तल पर कई द्वीप, पठार और झील भूकम्प के कारण ही बनते हैं ये सब मानव जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण होते हैं|

खनिज पदार्थ उत्पन्न होना  

भूकम्प में जब उदगम होता है तब काफी सारी कीमती धातुएं बाहर आ जाती हैं जो मानव जीवन के लिए काफी उपयोगी होती है|

उपजाऊ मिट्टी प्राप्त होना 

कभी-कभी बड़े भूकम्पों के साथ लावा बहने के बाद उपजाऊ हमें मिट्टी प्राप्त होती है|

उपजाऊ मैदानों की रचना 

भूकम्प जब आता है तब कभी-कभी मग्न-तट भूमि समुद्र के बाहर आती है जिससे उपजाऊ मैदानों की रचना होती है|

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