वायुमंडल (Atmosphere) किसे कहते हैं | वायुमंडल की संरचना एवं वायुदाब पेटियां

पृथ्वी के चारो ओर विशाल गैसीय आवरण पाया जाता है जिसे हम वायुमंडल कहते हैं| सरल भाषा में अगर बात करें तो पृथ्वी के चारो ओर विशाल गैसों का आवरण जो पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण अंग है तथा पृथ्वी को चारो ओर से घेरे हुए है, वायुमंडल कहलाता है|

वायुमंडल (Atmosphere) किसे कहते हैं|
vayumandal(Atmosphere) in Hindi

वायुमंडल के बारे में 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक के बाद पता चला| कृत्रिम उपग्रहों जैसे- अपोलो, स्पूतनिक से प्राप्त जानकारी के आधार पर वायुमंडल की ऊंचाई 16 हजार किमी से 32 हजार किमी. के बीच है|

जलवायु की द्रष्टि से वायुमंडल ही जलवायु की विशेषताओं तथा जलवायु परिवर्तन आदि के लिए जिम्मेदार होता है|

 वायुमंडल का संघटन 

हमारा वायुमंडल तीन चीजों से मिलकर बना है ये तीन चीजे क्या है तथा इनके बारे में सारी जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते है|

हमारा वायुमंडल निम्न तीन चीजों से मिलकर बना है|

  1. गैस
  2.  जलवाष्प 
  3.  धूलकण 

गैस :- प्रथ्वी के तापमान के घटने, पृथ्वी का संगठित होने एवं पृथ्वी का अपनी धुरी पर घूर्णन करने के कारण पुरानी गैसे लुप्त हो गयीं| पृथ्वी के ठंडा होने के बाद गैसों का संकेन्द्रण प्रारम्भ हुआ|

पृथ्वी पर नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन, कार्बनडाई ऑक्साइड, हैड्रोजन, नियान तथा ओजोन आदि गैसे वायुमंडल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| 

नाइट्रोजन :- पृथ्वी पर पायी जाने वाली नाइट्रोजन जैविक रूप से निष्क्रिय एवं भारी गैस है| राइजोबियम बैक्टीरिया वायुमंडल में नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप में ग्रहण करता है| 

नाइट्रिक ऑक्साइड के रूप में अम्ल वर्षा होती है इसका चक्रण वायुमंडल, मृदा मंडल और जैवमंडल में अलग-अलग होता है|

ऑक्सीजन :- ऑक्सीजन एक प्राणदायिनी गैस है इसका संघनन वायुमंडल के निचले भाग में होता है ये गैस कार्बन डाई ऑक्साइड से बनती है|

कार्बन डाई ऑक्साइड :- पेड़ पौधे कार्बन डाई ऑक्साइड से ग्लूकोज और कार्बोहाइड्रेट बनाते हैं पृथ्वी पर इस गैस की अधिकता के कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ गयी है तथा वायुमंडल में भारी परिवर्तन देखने को मिल रहा है| 

ओजोन :- वायुमंडल में ये गैस काफी कम मात्रा में पायी जाती है ये गैस पृथ्वी पर 20 से 30 किमी के बीच ही पायी जाती है| ये गैस सूर्य से आने वाली खतरनाक पराबैगनी किरणों को धरती पर आने से रोकती है इसलिए इसे हम पृथ्वी का सुरक्षा कवच भी कहते हैं|वर्तमान में ओजोन परत के क्षरण के कारण एक गंभीर समस्या बनी हुई है|

पृथ्वी पर नाइट्रोजन, ऑक्सीजन तथा कार्बन डाई ऑक्साइड भारी गैसे हैं इसके अलावा बाकी सभी हल्की गैसे पायी जाती हैं तथा ये हल्की गैसे वायुमंडल के ऊपरी भाग में पायी जाती हैं|

कार्बन डाई ऑक्साइड तथा ओजोन अस्थायी गैस होती है तथा नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हाइड्रोजन तथा नियाँन स्थायी गैसे हैं|

जलवाष्प :- पृथ्वी पर गैसों के अतिरिक्त जलवाष्प भी 4 प्रतिशत पायी जाती है| सर्वाधिक जलवाष्प भूमध्य रेखा के आसपास पायी जाती है|

जलवाष्प भूमि से 5 किमी ऊंचाई तक सम्पूर्ण जलवायु का 90 प्रतिशत भाग होता है| जलवाष्प के कारण ही वायुमंडल के सबसे नीचे भाग पर मौसम सम्बन्धी घटनाएं होती है|

धूलकण :- धूलकण एरोसाल होते है| ये सौर विकिरण के परावर्तन एवं प्रकीर्णन के माध्यम से ऊष्मा अवशोषित करते हैं| 

प्रकीर्णन के कारण आकाश का रंग नीला, सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय लाल रंग जो दिखाई देता है वह सब धूलकणों के कारण ही दिखाई देता है|

धुएं के कणों के कारण भी आर्दताग्राही नाभिक रूप में अपनी भूमिका निभाते हैं| 

औद्योगिक क्षेत्रों में धूलकण सबसे अधिक तथा ध्रुवों पर सबसे कम पाए जाते हैं| 

 वायुमंडल की संरचना


वायुमंडल के बारे में अध्ययन 20वीं शताब्दी में किये गये हैं| वायुमंडल में तापमान के उर्ध्वाधर वितरण के आधार पर वायुमंडल को पांच परतों में बांटकर पढ़ने का प्रयास करेंगे|
  1. क्षोभमंडल 
  2. समतापमंडल 
  3. ओजोन मंडल 
  4. आयन मंडल 
  5. बहिर्मंडल 

क्षोभमंडल (Troposphere)

  • क्षोभमंडल पृथ्वी की सबसे निचली सतह के सबसे नजदीक होती है|
  • क्षोभमंडल की ऊंचाई विषुवत रेखा से 16 किमी तथा ध्रुवों से 8 किमी है|
  • क्षोभमंडल में लगभग सभी मौसमी घटनाएँ होती हैं|
  • ये परत बांकी परतों से सबसे घनी है तथा यहाँ पर जलवाष्प, धूलकण आर्दता आदि पाए जाते हैं|
  • क्षोभमंडल में ऊंचाई के साथ-साथ तापमान घटता है| प्रथ्वी से 165 मीटर ऊपर जाने पर 1 डिग्री तापमान की कमी हो जाती है|
  • क्षोभमंडल के ऊपरी शीर्ष पर स्थित क्षोभमंडल सीमा होती है जो समताप मंडल से अलग करती है|

समताप मंडल (Stratosphere)

  • समताप मंडल की उंचाई 50 किमी होती है |
  • ऊंचाई पर जाने पर भी समताप मंडल का तापमान एक समान रहता है|
  • ये तापमान वायुयान चालको के लिए आदर्श होती है|
  • समताप मंडल में जलवाष्प, धूलकण आदि नहीं पाए जाते हैं|
  • ओजोन परत समताप मंडल में पायी जाती है जो सूर्य की पराबैगनी किरणों (Ultraviolet radiations) का अवशोषण करती है|

मध्यमंडल (Mesosphere)

  • मध्यमंडल की ऊंचाई 80 किमी ऊंचाई के तापमान घटता हैं तथा 80 m की ऊंचाई पर तापमान -100 डिग्री सेंटीग्रेट होता है|

आयनमंडल (Ionosphere)

  • आयनमंडल की ऊंचाई 500-600 किमी तक होती है|
  • आयनमंडल में आयन की मात्रा अधिक होती है|
  • आयन मंडल रेडियो तरंगों का वापस पृथ्वी तक भेजता है|
  • रेडियो का संचार इसी मंडल के माध्यम से किया जाता है|
  • ये प्रथ्वी की हानिकारक विकिरण से भी रक्षा करता है| 
  • आयनमंडल में तापमान में ऊंचाई के साथ-साथ वृद्धि होती है|
  • असमान से गिरने वाले उल्का पिंड आयनमंडल में आने पर जल जाते हैं|

बहिरमंडल (Exosphere)

  • ये मंडल वायुमंडल की सबसे उपरी परत होती है|
  • बहिर्मंडल की सबसे पहरी सीमा होती है इसके बाद अंतरिक्ष का विस्तार होता है |
  • इसमें हाइड्रोजन व् हीलियम गैसे पायी जाती हैं|
  • ऊँचाई के साथ-साथ आयनीकृत अणुओं में वृद्धि होती जाती है|

 वायुमंडलीय दाब (Atmospheric Pressure)


पृथ्वी की एक निश्चित क्षेत्रफल पर वायुमंडल की सभी परतों पर पड़ने वाला दबाव वायुमंडलीय दाब (Atmospheric Pressure) कहलाता है| 
वायुमंडलीय  दाब को वायुदाबमापी(Barometer) से मापा जाता है|
पृथ्वी की धरातल की तुलना में समुद्र तल पर वायुदाब अधिक तथा पर्वतों पर सबसे कम होता है|
प्रथ्वी के धरातल पर वायुदाब को वायुदाब पतियों के आधार पर दर्शाया जाता है|

विषुवत रेखीय निम्न वायुदाब पेटी (Equatorial Low Pressure Belts)

  • दोनों गोलार्दों में 0 डिग्री से 5 डिग्री अक्षांश के बीच का क्षेत्र विषुवत रेखीय निम्न वायुदाब पेटी है|
  • यहाँ पर सूर्यताप सबसे अधिक होता है इसलिए वायु गर्म होकर हल्की हो जाती है और ऊपर उठ जाती इससे निम्न दाब उत्पन्न हो जाता है|
  • इस क्षेत्र में वायु शांत होती है इसलिए इसे शांत कटिबंध भी कहते हैं|

उपोष्ण कटिबंधीय उच्चदाब पेटी (Tropical Subtropical High Pressure Belt)

  • दोनों गोलार्धों में 30 डिग्री से 35 डिग्री तक विस्तार उपोष्ण कटिबंधीय उच्चदाब पेटी कहलाता है|  यहाँ का तापमान अधिक होने के बावजूद उच्च वायुदाब होता है| 
  • उच्च वायुदाब होने का कारण प्रथ्वी की दैनिक गति एवं वायु में अवकलन व् अपसरण है|
  • भूमध्य रेखा से लगतार पवने उठकर यहाँ पर इकट्ठी हो जाती है तथा एक साथ उपध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटी से भी हवाएं यहाँ एकत्र होती है| इसी कारण यहाँ का वायुदाब अधिक होता है|
  • इस पेटी को अश्व अक्षांश(Horse Latitude) भी कहा जाता है क्योंकि यहाँ पर प्राचीन समय में नाविकों को इस क्षेत्र में उच्चदाब के कारण काफी कठिनाई होती थी जिसके कारण जलयानो का बोझ हल्का करने के लिए कुछ घोड़े समुद्र में फेंक देते थे|

उपध्रुवीय निम्न दाब पेटी (Sub-Polar Low Pressure Belt)

  • उपध्रुवीय निम्न दाब पेटी का विस्तार दोनों गोलार्धों में 60 डिग्री से 65 डिग्री अक्षांशों तक होता है|
  • यहाँ का तापमान कम होने के बावजूद निम्न होता है क्योंकि प्रथ्वी की घूर्णन गति के कारण यहाँ से वायु बाहर की ओर फैलकर स्थानांतरित हो जाती है जिस कारण वायुदाब कम हो जाता है|
  • निम्न वायुदाब होने का दूसरा कारण ध्रुवों पर अत्यधिक उच्च दाब की उपस्थिति है|

ध्रुवीय उच्च दाब पेटी (Polar High Pressure Belt)

अत्यधिक शीत होने के कारण कारण दोनों ध्रुवों पर उच्च वायुदाब पाया जाता है|

महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)

1.वायुमंडल की सबसे निचली परत कौन सी है? - क्षोभमंडल 

2. ओजोन परत किस मंडल में पायी जाती है? - समतापमंडल

3.सबसे अधिक मौसम सम्बन्धी घटनाएँ किस मंडल में पायी जाती हैं? - क्षोभमंडल (Imp)

4. सबसे बाहरी मंडल कौन सी है? - बाह्य मंडल 

5. अश्व अक्षांश रेखाए किसे कहते हैं? - उपोष्ण कटिबंधीय उछ वायुदाब पेटी

6. ध्रुवों पर क्षोभमंडल की उंचाई कितनी होती है? - 8 किमी

7. धरती से 165 किमी ऊंचाई पर जाने पर तापमान में कितने प्रतिशत की वृद्धि होती है? - 1 डिग्री (Imp)

8. 0 डिग्री से 5 डिग्री के बीच का अक्षांश किस नाम से जानते हैं? - विषुवत रेखीय निम्न वायु दाब पेटी 

9. आकाश का रंग नीला क्यों दिखाई देता है? - प्रकीर्णन के कारण

10. प्रथ्वी पर जलवाष्प की मात्रा कितनी पायी जाती है? - 4 प्रतिशत 


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