किसी भी देश के संविधान में सामन्यतः एक प्रस्तावना अवश्य होती है जिसके द्वारा संविधान के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से समझाया जाता है| भारतीय संविधान की शुरुआत में ही प्रस्तावना का वर्णन किया गया है| प्रस्तावना संविधान का एक महत्वपूर्ण अंग है|
भारतीय संविधान की प्रस्तावना लोकतंत्र का मूल आधार है तथा देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम करती है|
भारतीय संविधान की मूल प्रस्तावना में 42वें संवैधानिक संसोधन द्वारा समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष तथा अखंडता शब्दों को जोड़ा गया है|
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भारतीय संविधान की प्रस्तावना का वर्णन
"हम भारत के लोग भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुतासंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए एवं उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढाने के लिए दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल नवमी संवत 2006 विक्रमी) को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं"
संविधान में प्रस्तावना को बिलकुल स्पष्ट कर दिया गया है कि ये भारत को प्रभुसत्ता, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, प्रजातांत्रिक गणराज्य घोषित करते हुए अपने नागरिकों के लिए समाजिक, आर्थिक व् राजनैतिक, न्याय, विचारों, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था तथा प्रजा की स्वतंत्रता, स्थितियों व् अवसरों की समानता एवं भाईचारे की भावना का विकास करना जो व्यक्ति के सम्मान तथा राष्ट्र की अखंडता की रक्षा के प्रति आश्वस्त करे| संविधान में 12 से 35 अनुच्छेद के बीच नागरिकों के मूल अधिकारों को स्पष्ट किया गया है|
प्रस्तावना का उद्देश्य एवं विशेषताएं
भारत के संविधान की प्रस्तावना में घोषित उद्देश्य एवं विशेषताएं निम्न हैं-
- प्रस्तावना भारत को एक लोकतान्त्रिक राज्य के रूप में अपनाया गया है इसका प्रारंभ 'हम भारत के लोग' से होता है जो इंगित करता है कि भारत में सर्वशक्तिमान एवं संप्रभु समता होगी|
- प्रस्तावना में भारत को एक गणतंत्रात्मक राज्य बनाया गया है जिसमें राज्य का सर्वोच्च पद का निर्वाचन जनता द्वारा किया जायेगा|
- प्रस्तावना में अंकित किया गया शब्द 'पंथनिरपेक्ष' 1976 में जोड़ा गया है जो ये बताता है कि भारत में सभी धर्मों को समान रूप से मानने का अधिकार है तथा इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा|
- प्रस्तावना में संविधान का उद्देश्य अपने सभी नागरिकों के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनितिक न्याय उपलब्ध कराना रखा गया है|
- इसमें व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता तथा बन्धुता को संविधान का प्रमुख उद्देश्य बताया गया है|
- प्रस्तावना भारतीय संविधान का बुनियादी अंग है |
- गोलकनाथ बनाम पंजाब विवाद, केशवानंद बनाम केरल विवाद जैसे महत्वपूर्ण मामलों के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गये निर्णयों में स्वीकार किया गया कि संविधान में प्रस्तावना संविधान का बुनियादी अंग है|
- एकल नागरिकता को 24 अगस्त 2005 में राष्ट्रपति के द्वारा नागरिकता विधेयक को स्वीकृत दी गयी कि 1950 के पहले देश छोड़ने वालों को दोहरी नागरिकता प्रदान की जाएगी|
संविधान की प्रस्तावना का महत्त्व
- प्रस्तावना को सबसे पहले जवाहर लाल नेहरू नें संविधान सभा 13 दिसम्बर 1946 को प्रस्तुत किया था| संविधान में प्रस्तावना का महत्त्व निम्न प्रकार समझा जा सकता है|
- प्रस्तावना संविधान के आदर्शों व् सिद्धांतों को इंगित करती है
- प्रस्तावना संविधान की मार्गदर्शक है
- संविधान की व्याख्या में प्रस्तावना प्रमुख रूप से सहायक है|
- प्रस्तावना संविधान की आत्मा तथा कुंजी है|
भारतीय संविधान की प्रस्तावना से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु (Important Point)
- संविधान की प्रस्तावना के अनुसार संविधान के अंतर्गत सारी शक्तियों का केंद्रबिंदु 'भारत के लोग' ही हैं|
- प्रस्तावना को न्यायालय में नहीं बदल सकते हैं ये निर्णय 'यूनियन बैंक ऑफ इंडिया बनाम मदन गोपाल' निर्णय द्वारा सन 1957 में घोषित किया गया|
- संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत केशवानंद भारती ने दिया था जिसमें संविधान को आंशिक लचीला व् आंशिक कठोर बताया गया|
महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
1. भारतीय संविधान में प्रस्तावना का वर्णन संविधान के किस भाग में किया गया है? - भाग-1
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2. संविधान में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष तथा अखंडता शब्द किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़े गये? - 42वें
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3. संविधान की समस्त शक्तियों का केंद्रबिंदु कहते हैं| -भारत के लोग
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4. किसे संविधान की कुंजी कहा गया है? - प्रस्तावना
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5. संविधान में प्रस्तावना को सबसे पहले किसने प्रस्तुत किया था? - जवाहर लाल नेहरू
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6.भारतीय संविधान को आंशिक कठोर एवं आंशिक लचीला किसके द्बवारा बताया गया है - केशवानंद भारती
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7. समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष तथा अखंडता शब्द कब जोड़े गये? - 42वें संविधान संशोधन 1976 ई. में
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8. भारत को गणतंत्र क्यों कहते हैं? - क्योंकि यहाँ पर राज्य का प्रमुख निर्धारित समय के लिए निर्वाचित होता है
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9. संविधान निर्माताओं ने सबसे ज्यादा किस पर ध्यान दिया है? - प्रस्तावना पर
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10. धर्मंनिरपेक्ष का क्या अर्थ होता है? - राज्य सरकार द्वारा किसी धर्म को स्वीकार न करना
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11. गणतंत्र किसे कहते हैं? - ऐसा राज्य जहाँ पर अध्यक्ष वंशानुगत रूप से नहीं होता है
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12. भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत को किस रूप में घोषित किया गया है? - एक प्रभुतासंपन्न, समजवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रजातांत्रिक गणराज्य
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13. भारत एक गणतंत्र है, इसका क्या मतलब है? - भारत में वंशानुगत शासन नहीं है
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14. कल्याणकारी राज्य का क्या अर्थ है? - अधिकतम संख्या का अधिकतम कल्याण सुनिश्चित करना
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15. संविधान की प्रस्तावना में प्रयुक्त सेक्युलर का क्या अर्थ है? - सभी नागरिकों को धर्म एवं उपासना रखने की स्वतंत्रता है
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16. भारतीय संविधान की आत्मा किसे कहा जाता है| - प्रस्तावना
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17. भारतीय संविधान द्वारा किस प्रकार के लोकतंत्र को अपनाया गया है| - लोकतान्त्रिक गणराज्य
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18. भारतीय संविधान कब अंगीकार किया गया| - 26 नवम्बर 1949
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19. प्रस्तावना का ऐसा प्रावधान है जो सभी वयस्क नागरिकों को मतदान अधिकार प्रदान करता है, कहलाता है - प्रजातंत्र
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20. भारतीय संविधान पूर्ण रूप से बनकर कब तैयार हुआ? - 26 नवम्बर 1949
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