अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 : 8 मार्च (International Women's Day)

नमस्दोकार दोस्तों, आज हम बात करेंगे महिला दिवस के बारे में ये कब और क्यों मनाया जाता है तथा इसकी शुरुआत कब हुई थी| इन सब के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे|

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2024 : 8 मार्च
International Women's Day : 8 March
सालों से हम महिला दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिला दिवस क्यों मनाया जाता है तो चलिए जानते हैं महिला दिवस क्यों मनाया जाता है|

 अंतराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day)


अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पूरे विश्व में मनाया जाने वाला दिवस है जो महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा एवं उनके आर्थिक, सामाजिक रूप से आगे बढ़ने में एक नई उर्जा देता है| लोग अपनी माताओं को,बहनों को, बेटियों को याद करते हैं जन्होने अपने जीवन में कुछ न कुछ योगदान किया होता है| इस दिन बहुत सी महिलाये बैगनी रंग की रिबन पहनती हैं, कार्यक्रम आयोजित करती हैं और जश्न मनाती हैं|
इस दिन फूलों के दाम बढ़ जाते हैं क्योंकि इस दौरान स्त्री और पुरुष एक दूसरे को पुष्प देते हैं|
भारत में भी महिला दिवस को काफी महत्त्व दिया जाता है| प्रत्येक वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है| महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है इसके बारे में हम इसी पोस्ट में जानेंगे|

 अंतराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत (Starting of International Women's day)

 
महिला दिवस की शुरुआत सबसे पहले न्यूयार्क में 1909 ई. में हुई थी| इसके बाद सन 1917 ई. में सोवियत संघ ने इसे राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया| आगे चलकर ये दिवस पूरे विश्व में फ़ैल गया | 

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस का इतिहास (History of International Women's Day)

महिला दिवस के बारे में जानने से पहले आप सभी को इसके इतिहास के बारे में बता दें कि महिलाओं को पहले पुरुषों के मुकाबले बुद्धि और शारीरिक तौर पर कम आंकते थे और आज भी कहीं न कहीं ये समस्या देखने मिलती हैं| पढ़े लिखे परिवारों के साथ भी ये सब देखने को मिलता है| पहले ये सब ज्यादा देखने को मिलता था| महिलाएं व्यवसाय नहीं कर सकती थी, संपत्ति नहीं खरीद सकती थीं और अगर कोई व्यवसाय करती थीं तो उनके काम करने के घंटे ज्यादा हुआ करते थे और पुरुषों के मुकाबले वेतन कम हुआ करता था|
  • महिला दिवस की शुरुआत एक मजदूर आन्दोलन से हुई जब 15000 महिलाओं ने न्यूयार्क शहर में जुलूस निकाला और नौकरी में घंटो की संख्या कम करने के साथ बेहतर वेतन की मांग की| 
  • ये दिवस महिलाओं को वोट देने का अधिकार के उद्देश्य से काफी महत्वपूर्ण था |लगभग एक वर्ष बाद अमेरिका ने महिला दिवस 28 फरवरी 1909 ई. को मनाया| 
  • 1910 ई. में कोपेनहेगन में सोशलिस्ट इंटरनेशनल द्वारा इसे अन्तर्राष्ट्रीय दर्जा दिया| ये सुझाव सबसे पहले एक अमेरिकी महिला क्लारा जैकिन ने दिया| उस समय प्रेस कांफ्रेस में 17 देश शामिल हुए थे जिसमें 100 महिलाएं मौजूद थीं उन्होने इस सुझाव का खुलकर समर्थन किया और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का प्रयास किया|
  • 1911 ई.में यूरोप के कुछ देश जिसमें  डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड आदि में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया लेकिन उस समय इसे अधिकारिक रूप से मान्यता नहीं दी गयी थी|
  • 1975 ई. में महिला दिवस को अधिकारिक मान्यता उस समय दी गयी जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक थीम के साथ उसे मनाना शुरू किया|
  • अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम "Celebrating the Past Planning for the Future" थी|

 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है महिला दिवस?

दोस्तों अब हम जानते हैं ये दिवस 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि क्लारा जैकलिन ने महिला दिवस की कोई तिथि निश्चित नहीं की थी| रूस की महिलाओं ने 1917 ई. में जब युद्ध चल रहा था तब रोटी और शांति के लिए हड़ताल पर उतर गयी जिसके कारण जार राष्ट्रपति को सत्ता छोड़ना पड़ा जिसके बाद अंतरिम सरकार ने उन्हें वोट देने का अधिकार भी दे दिया| 
  • रूस के कैलेण्डर जूलियन कैलेंडर के अनुसार 1917 ई. को ये दिवस आखिरी रविवार 23 फरवरी को था लेकिन ग्रेगेरियन कैलेंडर में ये तिथि 8 मार्च थी, गैगेरियन कैलेंडर पूरे विश्व में चलने के कारण सन 1921 में ये दिवस 8 मार्च को पूरे विश्व में मनाया जाने लगा|
  • 1946 में स्त्रियों की दशा पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक आयोग गठित किया था जिसका उत्तर दायित्व ये था कि विश्वभर में महिलाओं के लिए समान राजनितिक, शैक्षिक एवं समान राजनितिक अधिकार उन्हें मिले|
  • कई देशों में तो महिला दिवस के दिन राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया जाता है|
  • शुरुआत में ये लड़ाई सिर्फ लोकतान्त्रिक तौर पर थी जिसमें रोजगार का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, संपत्ति का अधिकार शामिल था लेकिन आज के वर्तमान समय में ये लड़ाई बिलकुल अलग है जिसमें रोजगार, शिक्षा, संपत्ति के साथ-साथ घर, परिवार और समाज के शोषण के विरुद्ध भी संघर्ष करना पड़ रहा है|
  • भारत में शुरुआत में आन्दोलन कर्ता रमाबाई और सावत्री बाई फूलें थीं जिन्होंने 19वी शदी में सक्रीय भूमिका निभाई| पंडिता रमाबाई ने स्त्रियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया तथा सावित्री बाई फुले ने स्त्रियों की शिक्षा के लिए महत्वपूर्ण काम किया उनके लिए अलग से स्कूल खुलवाये|
  • दक्षिण एशिया में अगर हम नजर डाले तो हम देखेंगे कि सबसे कम महिलाएं रोजगार में शामिल हैं, कृषि के क्षेत्र में महिलाएं काफी अहम् भूमिका निभाती हैं फिर भी उन्हें आमतौर पर किसान नहीं माना जाता|
हालाँकि महिलाएं वर्तमान समय में लगभग हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं चाहे वह वह शिक्षा का क्षेत्र हो या राजनीति या डिफेन्स का क्षेत्र कहीं न कहीं आपको महिलाएं जरूर देखने को मिल जायेंगी|

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